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चीन की BRI परियोजना को जवाब देने की तैयारी.., भारत के साथ अमेरिका सहित कई देश होंगे शामिल

नई दिल्ली. भारत में G20 सम्मेलन का शानदार आगाज हो चुका है. इन दो दिनों में इस सम्मेलन से इतर कई योजनाओं और परियोजनाओं पर बात होने की संभावना है. जिसमें से एक के बारे में अमेरिका के मुख्य उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने प्रेस से बात करते हुए बताया कि भारत, अमेरिका, यूएई, सऊदी अरब और यूरोप रेलवे और शिपिंग कॉरिडोर से जुड़े एक अभूतपूर्व मूलभूत ढांचे की पहल करने जा रहे हैं जो वाणिज्य, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा.

BRI को लेकर चीन की आलोचना
जॉन फाइनर ने कहा कि ये प्रोजेक्ट मूलभूत ढांचे से जुड़ी खाई को भरेगा और उच्च स्तरीय, पारदर्शी, टिकाऊ होगा. साथ ही कोई भी क्षेत्र इसमें शामिल होने के लिए बाध्य नहीं है, बल्कि जरूरत या मांग के हिसाब से उससे जुड़ सकता है जो कि चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से एकदम अलग है. दरअसल बीआरआई के लिए चीन की आलोचना हो रही है कि उसे देशों पर थोपा जा रहा है जिसकी वजह से पार्टनर देश बेहिसाब कर्ज में दब रहे हैं. साथ ही इस प्रोजेक्ट पर पारदर्शी न होने, थोपे जाने और मानकों के साथ समझौते करने का आरोप लग रहा है.

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परियोजना पश्चिमी एशिया को  लेकर बड़ी रणनीति का हिस्सा
फाइनर का कहना है कि ये पहल जो बाइडन प्रशासन की पश्चिमी एशिया को लेकर बड़ी रणनीति का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट की रणनीति को समझाते हुए फाइनर ने कहा कि ये कॉरिडोर उपयोगिता के पैमाने को ध्यान में रखेगा ताकि दुनिया के तीन क्षेत्रों को जोड़कर संपन्नता को बढ़ाया जाए. इसके अलावा ये उस मूलभूत ढांचे की बड़ी खाई को भरने की कोशिश है जो कम और मध्यम-आय देशों में देखी जाती है. फाइनर ने कहीं न कहीं मिडिल ईस्ट को “असुरक्षा और हलचल पैदा करने के लिए जिम्मेदार” बताते हुए कहा कि ये प्रोजेक्ट अमेरिका की कोशिश है कि इसके जरिए वहां के “माहौल को शांत करके कनेक्टिविटी को बढ़ाया जाए.”

इजराइल के साझेदार बनने की उम्मीद
हालांकि ये प्रोजेक्ट I2U2 खांचे के तहत नहीं है (जिसमें भारत, इजराइल, यूएई और यूएस शामिल हैं), क्योंकि इजराइल और सऊदी के बीच रिश्ते सामान्य होने की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि तेल अवीव और रियाद के बीच औपचारिक कूटनीतिक रिश्ते मजबूत होते ही इजराइल इस परियोजना का जाहिर तौर पर साझेदार बनेगा. हालांकि इजराइल की भागीदारी से जुड़े सवाल पर फाइनर ने कहा कि इसका जवाब संबंधित देश ही दे सकते हैं.

फाइनर का मानना है कि इस परियोजना के जरिये उनका मकसद क्षेत्र में बढ़ते तनाव को कम करना और स्थिरता लाना है. फाइनर ने एक बार फिर बीआरआई पर हमला बोलते हुए कहा कि, वो परियोजना उतनी महत्वाकांक्षी, ऊंचे मानकों वाली और पारदर्शी नहीं है. जैसा कि उसे होना चाहिए.

Tags: BRI, China, Europe, G20, India, Saudi Arab, USA

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