चुरू में किस करवट बैठेगा ऊंट, कांग्रेस प्रत्याशी को दिख रही भारी बढ़त, क्या बदलेगा रिजल्ट?
राजस्थान में 2024 का लोकसभा चुनाव रोमांचक हो गया है. यहां की कुल 25 सीटों में से कई ऐसी हैं जहां इस बार भाजपा को कड़ी टक्कर मिल रही है. बीते दो लोकसभा चुनावों 2014 और 2019 में यहां की सभी सीटों पर भाजपा की एकतरफा जीत हुई थी. लेकिन, इस बार का चुनाव निश्चिततौर पर बीते दो चुनावों की तरह नहीं है. राज्य की कम से कम पांच सीटों पर भाजपा को कड़ी चुनौती मिल है. इन्हीं पांच में से एक सीट है चुरु.
चुरु में भाजपा को झटका
देश भर में मोदी लहर के बीच राज्य का चुरु एक ऐसा क्षेत्र हैं जहां पिछले दिनों भाजपा के मौजूदा सांसद ने पार्टी से बगावत कर कांग्रेस का दामन थाम लिया. यहां से राहुल कासवां कांग्रेस के टिकट पर इस बार मैदान में हैं. वह बीते दो चुनावों 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर चुरु से सांसद बने थे. स्थानीय स्तर पर भाजपा के भीतर की राजनीति में उन्हें टिकट नहीं मिला और उन्होंने इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया. यह संसदीय क्षेत्र कासवां परिवार का गढ़ है. राहुल और उनके पिता राम सिंह कासवां यहां से कुल छह बार सांसद निर्वाचित हो चुके हैं.
परिवार का व्यापक प्रभाव
1999, 2004 और 2009 में इस सीट से भाजपा के टिकट पर राम सिंह कासवां विजयी हुए थे. यानी बीते करीब 25 सालों से इस सीट पर लगातार कासवां परिवार का दबदबा है. 1999 से पहले 1991 में भी राम सिंह कासवां एक बार सांसद चुने गए थे. यानी वह कुल चार बार सांसद रह चुके हैं.
देवेंद्र झाझ़ड़िया भाजपा प्रत्याशी
इस उठापटक में भाजपा ने देवेंद्र झाझ़ड़िया को मैदान में उतारा है. राहुल कासवां और झाझड़िया दोनों प्रत्याशाी जाट समुदाय से हैं. बावजूद इसके चुरु में चुनाव जाट बनाम राजपूत बनता जा रहा है. इसकी मुख्य वजह हैं भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़. जाट मतों की कांग्रेस प्रत्याशी राहुल कसवां के पक्ष में गोलबंदी से झाझड़िया मुश्किल में नजर आ रहे हैं. इस सीट पर सबसे अधिक पांच लाख जाट मतदाता हैं.
दरअसल, राहुल कासवां चुरु से बीजेपी के ही सासंद थे. लेकिन इस बार बीजेपी ने कसवां का टिकट काटकर पैरा ओलंपिक चैंपियन देवेंद्र झाझड़िया को उतारा. कासवां ने अपना टिकट कटवाने का आरोप राठौड़ पर लगाया है. राठौड़ और कासवां के बीच पिछले कई सालों से सियासी अदावत चल रही है. अब ये चुनाव राजेंद्र राठौड़ के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. भाजपा की उम्मीद मोदी लहर पर टिकी है.
5 विस सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
जहां तक इस संसदीय सीट की बात है तो इसमें हनुमानगढ़ जिले की दो नोहार और भद्रा विधानसभा सीटें और चुरु की छह सीटें शामिल हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में इन आठ विस सीटों में से पांच पर कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत हुई थी. दो सीटों पर भाजपा और एक सीट सादुलपुर में बीएसपी उम्मीदवार जीते थे.
लोकसभा में खेल एकतरफा!
वोट प्रतिशत की बात करें तो लोकसभा चुनाव में यहां का पूरा खेल एकतरफा रहा है. 2023 के विधानसभा में इस क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर थी. भाजपा को 39.4 फीसदी और कांग्रेस को 38.6 फीसदी वोट मिले.
वहीं 2019 के संसदीय चुनाव में खेल पूरी तरह एकतरफा हो गया. उस चुनाव में कांग्रेस को 34.9 फीसदी और भाजपा को 60 फीसदी वोट मिले थे. हालांकि, उससे मात्र एक साल पहले 2018 के विधानसभा में यहां कांग्रेस को 36 फीसदी और भाजपा को 34 फीसदी वोट मिले थे. 2014 के लोकसभा में भी यहां की लड़ाई एकतरफा थी. उस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 52.6 फीसदी और कांग्रेस को केवल 15.7 फीसदी वोट मिले थे.
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FIRST PUBLISHED : April 17, 2024, 15:29 IST