जनकल्याण के लिए यह गुरु 7 साल से हवन कर दे रहे आहुति, रावण ने भी किया था यह हवन
मोहित शर्मा/करौली. अनुष्ठानों की समाप्ति और धार्मिक आयोजनों के बाद होने वाली हवन की प्रक्रिया को तो हम आए दिन घरों में देखते ही रहते हैं. क्योंकि हवन और यज्ञ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे भारतीय संस्कृति के शुभ और अशुभ दोनों ही कार्यों के विधि विधान के रूप में अवश्य ही किया जाता है. लेकिन आज हम आपको करौली के ऐसे आध्यात्मिक गुरु के बारे में बताने जा रहे हैं. जो बीते 7 साल से लगातार एक हवन कुंडी में नित्य आहुति देते आ रहे हैं. चाहे सर्दी हो या गर्मी लेकिन यह अपने हवन को एक भी दिन नहीं छोड़ते, रोज हवन में आहुति देकर ही यह अपने दिन की शुरुआत और बाद में अन्य कार्यों को करते हैं. वह अपने इस हवन का नाम सर्वारिष्ट निवारण हवन बताते हैं. जिसे वह अपने शिष्यों की शांति और जनकल्याण के निरंतर करते आ रहे हैं.
रावण ने भी किया था यह हवन
आध्यात्मिक गुरु पंडित हरिमोहन शर्मा बताते हैं कि यह हवन अपने आप में बहुत ही दिव्य और इसका उपयोग किसी अनुष्ठान वगैरहा में भी नहीं किया जाता है. इसका नाम सर्वारिष्ट निवारण हवन है जो भृगु संहिता से लिया गया है. उनका कहना है कि प्राचीन काल में इस हवन को अपने राज्य में कोई बाधा उत्पन्न और किसी नवग्रह का प्रभाव नहीं पड़े इसलिए रावण ने भी इसे किया था. इसका उदाहरण रामायण में भी समझने को मिलता है यह एक ऐसा हवन जिसने रावण के नवग्रहों को उसकी इच्छा अनुसार बना दिया. लोकल 18 के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक दिन उन्हें भगवान की प्रेरणा हुई तभी से वह निरंतर इस हवन करते आ रहे हैं.
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विकारों की दी जाती है इस हवन में आहुति
गुरु के मुताबिक, इस हवन में सभी विकारों और बुराइयों की आहुति दी जाती है. उनका कहना है कि वह इस हवन को 7 साल से अपने शिष्यों के ग्रह गोचर की दशा का उनके जीवन पर विपरीत प्रभाव न पड़े और जनकल्याण हेतु करते आ रहे हैं. यह हवन अपने आप में बहुत ही दिव्य हैं और इसका प्रभाव भी आसपास के पूरे वातावरण पर रहता है.
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FIRST PUBLISHED : January 7, 2024, 13:08 IST