Rajasthan

जयपुर के बसने से पहले हुई थी इस मंदिर की स्थापना, दर्शन मात्र से पूरी होती हैं मनोकामना

अंकित राजपूत/जयपुर. राजस्थान में वैसे तो भगवान शंकर के कई मंदिर हैं पर कुछ मंदिर ऐसे हैं जिनका इतिहास और वहां की मान्यता विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं. ऐसा ही एक मंदिर है भूतेश्वर महादेव मंदिर. जिसके बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर जयपुर बसने से भी पहले का है. आमेर की पहाड़ियों के बीच स्थित यह मंदिर अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए जाना जाता हैं. यहां पर पूरे भारत से लोग भगवान शंकर के दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना कब हुई इसका कोई सटीक प्रमाण मौजूद नहीं है. आमेर के चारों तरफ जंगल के बीच बसे इस मंदिर की विशेष मान्यता भी है. जिसके लिए यहां लोग दूर-दूर से आते हैं.

विशेष है इस मंदिर की मान्यता
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में भूतेश्वर नाथ महादेव से जो सच्चे मन से कुछ मांगता है, भगवान उसे जरूर पूरा करते हैं. यहां भगवान की शंकर की पूजा करने के लिए हरियाणा, दिल्ली और भारत के अलग-अलग राज्यों से लोग यहां खूब आते हैं. इस मंदिर में मंडप और गुंबद काफी प्राचीन हैं. यहां सालों से आने वाले भक्त बताते हैं कि पहले यह मंदिर पहाड़ी के बीच में अकेले था. धीरे-धीरे इस मंदिर के बारे में लोगों को पता चला और यहां पर बड़ी भीड़ उमड़ने लगी. आज यहां भारी संख्या में लोग भगवान शंकर की पूजा करने आते हैं. शिवरात्रि और श्रावण मास के महीने में यहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं.

सुनसान पहाड़ियों के जंगल में विराजमान हैं भोलेनाथ
इस मंदिर का इतिहास का तो किसी को ठीक से पता नहीं है, पर अभी जो मंदिर घने जंगल के बीच पहाड़ियों के चारों और एक कुएं के आकार में बना हुआ है, वो देखने में ही भव्य लगता है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जंगल में यह मंदिर अकेला है, और इसके आसपास कोई बसावट नहीं है. कहते हैं कि इस मंदिर में पहले पूजा नहीं होती थी, और कोई रात में यहां नहीं रुकता था. इसी बीच एक संत आए और इस मंदिर की पूजा करने लगे. उनके बाद संत ने बाद में जिंदा वहां पर समाधि ली थी, और उनकी समाधि अभी है. ऐसे कई साधुओं ने यहां तपस्या की थी, जिनके प्रमाण आज भी मौजूद हैं.

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