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जाते हुए साल में पीयूष मिश्रा रहे बेस्ट सेलर, ‘राग दरबारी’, ‘महाभोज’ और ‘रश्मिरथी’ आज भी पहली पसंद

कैलेंडर का पन्ना नहीं बल्कि पूरा कैलेंडर बदलने का समय आ रहा है. धीरे-धीरे इतिहास के पन्नों में दर्ज होता हुआ यह साल 2023 हमसे विदा ले रहा है. वैसे तो यह साल तमाम घटना, दुर्घटनाएं, उपलब्धियां, विफलताओं भरा रहा है, लेकिन साहित्य के सोपान पर देखें तो इस साल ने नई ऊंचाइयों को ही छूआ है. खासकर हिंदी साहित्य जगत में कई उल्लेखनीय काम हुए हैं.

राजकमल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, राजपाल, किताब घर, पेंगुइन स्वदेश, हिंद युग्म, सर्वभाषा ट्रस्ट सहित तमाम प्रकाशनों शानदार किताबों का प्रकाशन किया. अगर राजकमल प्रकाशन की बात करें तो इस समूह से इस साल अब तक विभिन्न विधाओं पर कुल 264 पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है. राधाकृष्ण प्रकाशन और लोकभारती प्रकाशन भी राजकमल प्रकाशन के ही हिस्से हैं.

राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी का कहना है कि एक प्रकाशक के बतौर यह कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि यह वर्ष राजकमल प्रकाशन समूह के लिए कई वजहों से यादगार रहा है. समूह ने इस साल ‘किताब उत्सव’ और ‘ज्ञान पर्व’ जैसे आयोजनों के माध्यम से प्रयागराज, भोपाल, पटना, चंडीगढ़, मुम्बई और तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में हिंदी पाठकों तक पहुंच बनाई है. पिछले वर्ष गीतांजलि श्री के ‘रेत समाधि’ को बुकर पुरस्कार मिलने से हिंदी साहित्य की दुनिया में नया कीर्तिमान स्थापित हुआ था. इस साल भी राजकमल प्रकाशन के लेखक विनोद कुमार शुक्ल को अंतरराष्ट्रीय साहित्य में उपलब्धि के लिए पेन/नाबोकोव अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.

2023 की बेस्टसेलर किताबों में पीयूष मिश्रा टॉप पर
राजकमल प्रकाशन की इस साल कई किताबों ने बाजार में खूब धूम मचाई है. इनमें जस्टिन गार्डर का विश्व प्रसिद्ध उपन्यास ‘सोफ़ी का संसार’, पीयूष मिश्रा का आत्मकथात्मक उपन्यास ‘तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा’, बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत समाधि’, ई.वी. पेरियार रामासामी की ‘सच्ची रामायण’ और फादर कामिल बुल्के की ‘रामकथा’ टॉपसेलर रही हैं.

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‘तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा’ की बात करें तो प्रकाशन की घोषणा के बाद इसका पहला संस्करण प्री-बुकिंग में ही समाप्त हो गया. उसके बाद पुस्तक का दूसरा संस्करण लोकार्पण के महज दो दिनों में समाप्त हो गया. शुरुआती 75 दिनों में इस आत्मकथात्मक उपन्यास की 12,800 से ज्यादा प्रतियां बिक गईं.

राजकमल की टॉपसेलर सूची में वह पुस्तकें शामिल होती है जिनकी कम से कम 10,000 प्रतियों की बिक्री प्रकाशन के 90 दिनों के भीतर हो जाती हैं. ‘तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा’ की अब तक 20,000 से अधिक प्रतियों की बिक्री हो चुकी हैं.

इनके अलावा पाठकों ने राजकमल प्रकाशन की कई किताबों को भी खूब पसंद किया है, इनमें एस. इरफान हबीब द्वारा सम्पादित ‘भारतीय राष्ट्रवाद : एक अनिवार्य पाठ’, अशोक कुमार पांडेय की ‘अनात्म बैचेनी का यायावर : राहुल सांकृत्यायन’, पुरुषोत्तम अग्रवाल द्वारा परिमार्जित ‘कबीर ग्रन्थावली’, शिवमूर्ति का किसान जीवन पर लिखा गया उपन्यास ‘अगम बहै दरियाव’, ‘राग दरबारी’ का डीलक्स संस्करण और ‘रेत समाधि’ का उपहार संस्करण शीर्ष पर रहे. राधाकृष्ण प्रकाशन से इस वर्ष प्रकाशित पुस्तकों में यतीश कुमार का कविता संग्रह ‘आविर्भाव’, प्रभात प्रणीत का उपन्यास ‘वैशालीनामा’, गुलज़ार के गीतों की कहानियों पर आधारित ‘जिया जले’, मलय जैन का व्यंग्य संग्रह ‘हलक का दारोगा’ और परिमल कुमार की ‘रिपोर्टर ऑन द ग्राउंड’ पाठकों को सबसे ज्यादा रास आई. वहीं लोकभारती प्रकाशन की पुस्तकों में प्रदीप गर्ग का उपन्यास ‘तथागत फिर नहीं आते’ और राजगोपाल सिंह वर्मा की ‘किंगमेकर्स’ पाठकों द्वारा सर्वाधिक पसन्द की गई.

विनोद कुमार शुक्ल और आलोक धन्वा भी हिट
राजकमल प्रकाशन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में सबसे अधिक पसंद की गई कविता की पुस्तकों में यतीश कुमार की ‘आविर्भाव’, जांनिसार अख़्तर द्वारा सम्पादित ‘हिन्दोस्तां हमारा’, विनोद कुमार शुक्ल की ‘खिलेगा तो देखेंगे’, आलोक धन्वा की ‘मुलाकातें’, अनुज लुगुन की ‘अघोषित उलगुलान’, विहाग वैभव की ‘मोर्चे पर विदागीत’, रूपम मिश्र की ‘एक जीवन अलग से’ शीर्ष पर रहीं.

उपन्यास में त्रिपुरारी शरण का ‘माधोपुर का घर’, गीता श्री का ‘कैद बाहर’, प्रभात प्रणीत का ‘वैशालीनामा’, त्रिलोकनाथ पांडेय का ‘महाब्राह्मण’, भगवानदास मोरवाल का ‘मोक्षवन’, प्रदीप गर्ग का ‘तथागत फिर नहीं आते’ और मनोज भक्त का ‘शालडूंगरी का घायल सपना’ पाठकों को सबसे ज्यादा पसन्द आए.

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कहानी की बात करें तो प्रियदर्शन की ‘सहेलियां एवं अन्य कहानियां’, विमल चन्द्र पांडेय की ‘मारणमंत्र’, सत्यजित राय की ‘वह बारह’, वन्दना राग की ‘यूटोपिया’ और सूर्यबाला की ‘बहनों का जलसा’ पाठकों को पसन्द आई.

युवाओं की पहली पसंद क्लासिक किताबें
हिंदी साहित्य की दुनिया में अनेक ऐसी किताबें हैं जो हर पीढ़ी के पाठकों द्वारा पसंद की जाती हैं. क्लासिक किताबें नई पीढ़ी के पाठकों द्वारा बहुत पसंद की जा रही हैं. राजकमल प्रकाशन की क्लासिक किताबों में ‘राग दरबारी’, ‘मैला आंचल’, ‘चित्रलेखा’, ‘महाभोज’, ‘झूठा सच’, ‘सारा आकाश’, ‘तमस’, ‘आपका बंटी’, ‘काशी का अस्सी’; कविता और शायरी में ‘रश्मिरथी’, ‘साये में धूप’, ‘उर्वशी’, ‘साकेत’, ‘संसद से सड़क तक’, ‘बीच का रास्ता नहीं होता’; नाटकों में ‘आधे-अधूरे’, ‘अंधेर नगरी’, ‘लहरों के राजहंस’ के साथ-साथ ‘संस्कृति के चार अध्याय’ और ‘चिंतामणि’ समेत अनेक क्लासिक किताबें हजारों पाठकों के संग्रह में शामिल हुईं.

बाल साहित्य में भी एंट्री
इस साल राजकमल प्रकाशन समूह ने बाल साहित्य में भी जगह बनाई है. प्रकाशन समूह की वेबसाइट समूह की सभी शाखाओं में बाल साहित्य की पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं. पहले चरण में बाल साहित्य की 100 से अधिक रोचक और ज्ञानवर्धक पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं जिनमें से 6 पुस्तकों का प्रकाशन हाल ही में किया गया है.

Tags: Books, Hindi Literature, Hindi Writer, Literature

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