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जेईई में हासिल की टॉप 1 रैंक, IIT दिल्ली छोड़ MIT का थामा दामन, अब विदेश में कर रहे हैं ये काम

Success Story: इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अधिकांश लोगों का सपना होता है कि आईआईटी से पढ़ाई करें. लेकिन इस सपने को पूरा करने के लिए जेईई की परीक्षा को पास करना होता है. इसके लिए लोगों को खूब मेहनत भी करनी होती है. कई ऐसे लोग भी है जो आईआईटी पास करने के साथ ही टॉप 1 रैंक लाने के बावजूद भी अच्छे की तलाश में आईआईटी को छोड़कर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) भी जा रहे हैं. आज जिस शख्स की बात कर रहे हैं, उनका नाम रघु महाजन (Raghu Mahajan ) है. वह वर्ष 2006 के जेईई टॉपर हैं. इनके बारे में आइए विस्तार से जानते हैं.

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT)
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) का मोटो “माइंड एंड हैंड” है. इसे एमआईटी के नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना वर्ष 1861 में हुई थी. एमआईटी शुरू में प्रॉब्लम्स सॉल्वर और साइंस प्रेमियों का एक छोटा समुदाय था, जो अपनी नॉलेज को दुनिया के सामने लाने के लिए उत्सुक थे. आज, लगभग 1,000 फैकल्टी मेंबरों और 11,000 से अधिक अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के साथ, एमआईटी एक एजुकेशनल दिग्गज संस्थान के रूप में विकसित हुआ है.

आईआईटी दिल्ली छोड़ MIT का थामा दामन
वर्ष 2006 के टॉपर रघु महाजन ने शुरुआत में आईआईटी-दिल्ली में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग प्रोग्राम में एडमिशन लिया. इसके बाद उन्होंने मई 2008 में अपने इंटेलेक्चुअल पैशन को आगे बढ़ाने के लिए मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में फिजिक्स और मैथ्स में स्विच करने का फैसला किया. उन्होंने आईआईटी-दिल्ली को बीच में ही छोड़ दिया. महाजन का फिजिक्स के लिए ऐसा जुनून था कि वह आईआईटी दिल्ली को छोड़ दिया.

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हैं रिसर्चर
वर्तमान में रघु महाजन स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर हैं. वह पहले प्रिंसटन विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर थे. दिलचस्प बात यह है कि महाजन ने वर्ष 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी के घोषणापत्र में भी योगदान दिया था. महाजन का यह भी मानना है कि 17 या 18 साल की उम्र में आईआईटी में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को अपनी वास्तविक करियर प्राथमिकताओं के बारे में पता नहीं हो सकता है और रिसर्च को सामाजिक अपेक्षाओं के बजाय वास्तविक रुचि से प्रेरित होना चाहिए.

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Tags: IIT, Jee main, Success Story

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