‘जैसे भगवान राम की परीक्षा परशुराम ने ली थी, ठीक वैसे …’, विदेश मंत्री जयशंकर ने आखिर किस मुद्दे पर दिया यह उदाहरण, जानें

हाइलाइट्स
जयशंकर ने राजनयिक स्थितियों को समझाने के लिए रामायण से उदाहरण दिए.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रों की परीक्षा उनके पड़ोसी देशों द्वारा ली जा सकती है.
उन्होंने कहा कि जैसे कि भगवान राम की परीक्षा परशुराम ने ली थी.
तिरुवनंतपुरम. विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने अपने एक भाषण में दुनिया की मौजूदा राजनयिक स्थितियों को समझाने के लिए महाकाव्य रामायण (Epic Ramayana) से उदाहरण दिए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रों की परीक्षा उनके पड़ोसी देशों द्वारा ठीक उसी तरह ली जा सकती है, जैसे कि भगवान राम (Lord Rama) की परीक्षा परशुराम (Parashurama) ने ली थी. जयशंकर ने कहा कि जिस तरह भगवान राम को लक्ष्मण की जरूरत थी, उसी तरह हर देश को मजबूत और भाई समान दोस्त की जरूरत है. जयशंकर ने यह बयान यहां संघ परिवार के प्रमुख संगठन भारतीय विचार केंद्रम (BVK) द्वारा आयोजित तीसरे पी. परमेश्वरनजी स्मारक व्याख्यान के दौरान दिया.
एस जयशंकर ने महाकाव्य के प्रसंगों का हवाला देते हुए कहा कि भगवान राम ने धनुष तोड़ने जैसी बड़ी परीक्षा उत्तीर्ण की और आज की दुनिया में देश भी इसी तरह की परीक्षाओं से गुजरते हैं. जयशंकर ने कहा कि ‘जब राष्ट्रों का उत्थान होता है तो उनके साथ बिल्कुल यही होता है. आइए हम अपने देश पर नजर डालें. मजबूत अर्थव्यवस्था से हम एक परीक्षा में पास हुए. परमाणु परीक्षण और परमाणु शस्त्रागार विकसित कर हमने एक और परीक्षा पास की. यह एक धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने जैसा है जो एक परमाणु धनुष है. यह एक प्रौद्योगिकी परीक्षण हो सकता है.’
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ‘जिस तरह राम की परीक्षा परशुराम ने ली थी, उसी तरह हमारी भी परीक्षा ली जा सकती है. इसलिए हमें अन्य स्थितियों में परखा जा सकता है. राष्ट्रों की परीक्षा पड़ोसियों द्वारा की ली सकती है.’ जयशंकर ने कहा कि आज की विश्व व्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाने के लिए भारत को तैयारी करनी चाहिए और उसे यह काम ऐतिहासिक एवं सभ्यतागत उत्तरदायित्व के बोध के साथ करना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान विश्व में परंपरा के पास लोगों को सिखाने के लिए बहुत कुछ है. उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में इतिहास, परंपरा एवं संस्कृति के कोण से देखने पर विश्व से संपर्क साधने का एक ठोस आधार मिलता है.
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जयशंकर ने कहा कि ‘मैं आपको बता सकता हूं कि विश्व आज हमारे के लिए तैयार हो रहा है. हमें अपना इतिहास कभी नहीं भूलना चाहिए, हमें अपनी सभ्यता कभी नहीं भूलनी चाहिए क्योंकि वही हमें हर किसी से अलग करती है.’ भारत की वैश्विक स्थिति में आए बदलाव का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आज भारत के पड़ोसी अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और भारत के प्रति उनका विश्वास एवं सम्मान और बढ़ा है.
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Tags: Diplomatic relation, EAM S Jaishankar, Lord rama
FIRST PUBLISHED : January 7, 2024, 03:33 IST