जोधपुर की सफाईकर्मी आशा ने आरएएस परीक्षा-2018 में लहराया सफलता का परचम। Success Story-job and career-sweeper Asha became RAS officer– News18 Hindi

आशा की सफलता की कहानी उस कहावत को पुख्ता करने का बेहतरीन उदहारण जिसमें कहा गया है कि ‘कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है’. वास्तव में नहीं है चाहे फिर परिस्थितियां कैसी भी हो. राजस्थान लोकसेवा आयोग की ओर से मंगलवार रात को घोषित किए आरएएस परीक्षा-2018 के परिणामों में आशा ने 728वीं रैंक प्राप्त की है. आशा कंडारा पिछले कई बरसों से नगर निगम में अस्थाई सफाईकर्मी के तौर पर कार्यरत है. वह जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाती है.
आशा के सिर पर है बड़ी जिम्मेदारी
आशा के सिर पर दो बच्चों की जिम्मेदारी भी है. बावजूद इसके आशा ने पढ़ाई का दामन नहीं छोड़ा. दिन में सफाई का काम करना और समय मिलने पर किताबों की संगत करने से आशा की जिंदगी अब बदलन गई है. आशा ने अपने सपनों को पूरा करने के लिये संघर्ष की इस राह में कड़ी मेहनत को चुना. आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसने आरएएस परीक्षा के तमाम तीनों चरणों प्री एग्जाम, मुख्य एग्जाम और इंटरव्यू में सफलता का परचम लहरा दिया.
पहले किस्मत रूठी, अब सपनों ने उड़ान भरी
आशा कंडारा के दो बच्चे हैं. 8 साल पहले पति से अनबन हो गई थी. पति से अलग होने के बाद वह अपने बच्चों का पालन पोषण खुद ही कर रही है, लेकिन आशा ने हिम्मत नहीं हारी. बुलंद हौसलों के चलते वह नगर निगम में अस्थाई सफाईकर्मी की नौकरी करती रही और पढ़ाई जारी रखी. आशा को हाल ही में 12 दिन पहले ही नगर निगम में सफाईकर्मी के तौर पर स्थाई नौकरी की सौगात मिली थी.
निगम में अफसरों को देखकर जागा जुनून
आशा कंडारा बताती हैं कि नगर निगम में काम करने के दौरान वह स्कूटी से जाती थी. जहां ड्यूटी होती वहां झाड़ू निकालकर साफ सफाई करती. लेकिन नगर निगम में बैठे अफसरों को देखकर उसके मन में भी अफसर बनने का जुनून पैदा हुआ. ग्रेजुएशन करने के बाद उसने आरएएस की तैयारी शुरू कर दी. आखिरकार कड़ी मेहनत रंग लाई और आज उसका सपना पूरा हो गया.
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