टीचर बनने की तैयारी करने के साथ-साथ युवक कर रहा मल्टीपल फार्मिंग, नई-नई तकनीकी का कर रहा प्रयोग

रविन्द्र कुमार/झुंझुनूं : झुंझुनूं के नजदीकी गांव हसलसर के रहने वाले पवन कुमार अभी अपने खेत पर ही मल्टीपल फार्मिंग करके एक अनोखा उदाहरण पेश कर रहे हैं. पवन अभी 25 ही साल के हैं. उन्होंने पढ़ाई लिखाई में बीएससी और बीएड कर रखा है. वह घर पर अपना एक फॉर्म चलते हैं. जिससे उनका घर खर्च, पढ़ाई की फीस सब वहां से निकलती है.
पवन के परिवार में अभी उनकी एक छोटी बहन और उनकी माताजी हैं. एक बड़ी बहन की शादी कर दी गई है. कुछ समय पहले हार्ट अटैक की वजह से उनके पिताजी का देहांत हो गया. यह फार्मिंग उनके पिताजी के द्वारा शुरू की गई थी. जिसे आज पवन आगे बढ़ा रहे हैं. साथ में ही परिवार में जिम्मेदार नागरिक होने की भूमिका भी निभा रहे हैं.
पढ़ाई के साथ-साथ कर रहे फार्मिंग
मल्टीपल फार्मिंग की जानकारी देते हुए पवन कुमार ने बताया कि लोगों की अवेयरनेस तथा लोगों की जरूरत के हिसाब से मल्टीपल फार्मिंग की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि फार्मिंग का उन्हें शुरू से ही बहुत ज्यादा शौक था. फिर जैसे-जैसे फार्मिंग में नए-नए एक्सपेरिमेंट को देखते हुए सुधार करते जा रहे हैं.
पवन ने जानकारी देते हुए बताया कि वह फार्मिंग और खेती के साथ-साथ पढ़ाई भी करता है. उन्होंने बताया कि एजुकेशन में उन्होंने बीएससी, एमएससी, बी एड कर रखी है. अभी वह स्टेट बीएससी की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही टीचर बनने की तैयारी भी करते हैं. जब भी समय मिलता है तो पढ़ाई भी करते हैं. वह अपने फार्म की भी देखरेख करते हैं.
मार्केट को समझकर करते हैं खेती
पवन ने बताया कि उनके मल्टी फॉर्म में देसी मुर्गे, कड़कनाथ मुर्गे, बटेर फार्मिंग, फिश फार्मिंग, बतख फार्मिंग, खरगोश फार्मिंग तथा इसके साथ-साथ ही वह खेती भी करते हैं. उसके साथ-साथ वर्मी कंपोस्ट खाद भी वे अपने खेत में तैयार करते है. पवन ने बताया कि धीरे-धीरे थोड़ा कमर्शियल में आते गए और आधुनिक कृषि के साथ उनका फार्म जुड़ता गया. जिस हिसाब से लोगों की डिमांड बढ़ती गई उसे हिसाब से काम करते गए.
मल्टीपल फार्मिंग के बेनिफिट के बारे में जानकारी देते हुए पवन कुमार ने बताया कि मल्टी फार्मिंग में बेनिफिट का रेशियो वर्ष के आखरी में निकलते है. इसको बिजनेस के हिसाब से देखें तो एक में लॉस दूसरे में इक्वलिटी तथा तीसरे में प्रॉफिट हो जाता है. तब अगर सबको मिलाकर देखा जाए तो यह सब एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं.
50% मुर्गी के अंडों की करते हैं बिक्री
मुर्गियों के अंडे की सैल के बारे में जानकारी देते हुए पवन कुमार ने बताया कि मुर्गियों के अंडे की रेट मार्केट की रेट से 50% लेस में सेल करते हैं. उन्होंने बताया कि वह 1-2 रुपए के मार्जन पर अपना काम करते हैं. अगर ज्यादा पैसे करेंगे तो ग्राहक की तादाद काम हो जाएगी.फिर ज्यादा प्रोडक्शन निकालेंगे तो उनको बेचेंगे कहां पर. फिश फार्मिंग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 70% फिश ईट भट्ठों पर काम करने वाले वर्कर ही कंज्यूम कर लेते हैं. तथा 30% लोकल कंज्यूम करते हैं.
पवन ने बताया कि फॉर्म के अलावा उन्होंने खेती में भी नवाचार किया है. जैसे कि वर्मी कंपोस्ट खाद का प्रयोग कर के काफी पौधे लगा रखे हैं. जैसे आम, अनार, किन्नू तथा संतरा के पौधे अपने वर्मी कंपोस्ट खेती में लगा रखी है.
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FIRST PUBLISHED : January 2, 2024, 23:25 IST