तबादलों की वेला वापस आई, नीति फिर बिसराई
जयपुर. राज्यसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच सरकारी महकमों में फिर से तबादलों की वेला आ गई है। आठ माह के अंतराल के बाद राज्य सरकार ने सोमवार को एक आदेश जारी कर तबादलों पर लगा प्रतिबंध हटा लिया। आगामी आदेशों तक सरकारी विभागों में स्थानांतरण चलते रहेंगे। ताजा आदेश में प्रदेश में प्रस्तावित नई तबादला नीति के जरिए आवेदन को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है। यानि पुराने ढर्रे से ही तबादलों के आवेदन लिए जाएंगे और इन पर निर्णय किया जाएगा। पिछले वर्ष सरकार ने 14 जुलाई को स्थानांतरणों से प्रतिबंध हटाया था, जिसकी अंतिम तिथि दो बार बढ़ा कर 30 सितंबर तक की गई थी।
डिजायर का ‘साधन’
जानकारों का कहना है कि एक ओर जहां नई नीति की तैयारी चल रही है, वहीं सरकार का अचानक तबादले खोलना राज्यसभा चुनावों में विधायकों को ‘साधने’ का तरीका हो सकता है। चूंकि नई नीति अभी अस्तित्व में नहीं है, इसलिए पारंपरिक तरीके से तबादलों में विधायकों की ‘डिजायर’ महत्वपूर्ण होगी।
अब विभागों पर निर्णय छोड़ा
शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी शिक्षकों समेत अन्य विभागों में किन श्रेणियों के तबादले होंगे या नहीं, इस बारे में आदेश में कुछ भी नहीं कहा गया है। प्रशासनिक सुधार विभाग के अधिकारियों के अनुसार बिना किसी शर्त तबादले खोले गए हैं। ऐसे में अब विभागों को ही निर्णय करना है। गौरतलब है कि पिछली बार तृतीय श्रेणी शिक्षकों की ओर से किए गए 85 हजार आवेदन विभाग के पास लंबित हैं।
14 महीने से केबिनेट नहीं जा सका प्रारूप
राज्य सरकार ने बीते वर्ष मार्च माह में ही नई तबादला नीति का प्रारूप तैयार कर लिया। लेकिन 14 महीने का लंबा अंतराल बीतने के बाद भी यह प्रारूप केबिनेट से पारित नहीं हो पाया है। प्रारूप में तबादलों के लिए एक समयबद्ध और पारदर्शी प्रक्रिया तय की गई है।
आया था भ्रष्टाचार का जिक्र
पिछली बार भी जब बिना नीति तबादले खोले गए तो इनमें भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। खुद मुख्यमंत्री ने भी शिक्षा विभाग के एक कार्यक्रम में तबादलों में पैसे से लेन—देने का जिक्र किया था।