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दांतों के लिए रामबाण औषधि है लटजीरा, सुबह-सुबह दातून कर लिया तो नहीं आएगी समस्या

मनीष पुरी/भरतपुर : भारत आयुर्वेद की जननी के रूप में पूरे विश्व में रोगोपचार के लिये सम्भवतया सबसे प्राचीन समय से ही अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. आयुर्वेद में वनस्पतियों के विविध स्वरूपों का रोग चिकित्सा के लिये उपयोग किया जाता है. यूं तो भारत में बहुत सारी वनस्पतियां अथवा जड़ी बूटियां हैं. जो विभिन्न रोगों के उपचार के लिये पृथक-पृथक स्वरूपों में उपयोग ली जाती हैं. प्रत्येक वनस्पति का एक अपना अलग ही महत्व होता है.

लेकिन कुछ जड़ी बूटियां मानव एवं पशुओं के शरीर के लिए अत्यधिक लाभदायक रहती हैं. इनका उपयोग करने से शरीर में होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियां ठीक हो जाती हैं. ऐसी ही एक जड़ी बूटी है. जिसका नाम है औंघा. जिसे आम बोल चाल में चिरचिटा य अपामार्ग (लटजीरा) भी कहा जाता है. यह पौधा ग्रामीण इलाकों में खरपतवार के रूप में अत्यधिक देखने के लिए मिलता है. इस पौधे का प्रत्येक भाग उपयोगी होता है. इस कंटीले पौधे का खास स्वभाव यह है कि इसके सम्पर्क में आने पर इसके कांटे आपके हाथ-पैर एवं कपड़ों पर कांटे लग जाते हैं.

जड़ से की जाती है दातून
वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी वैद्य सुभाष चतुर्वेदी से बात करने पर उन्होंने बताया कि औंघा का यह पौधा ग्रामीण इलाकों में भारी मात्रा में देखने के लिए मिलता है.इसको आयुर्वेद भाषा मे अपामार्ग या चिरचिटा भी कहा जाता है. बता दें कि यह पौधा शरीर में होने वाली लिए विभिन्न बीमारियों के लिए काफी फायदेमंद है. लेकिन इसमें भी सबसे फायदेमंद इस पौधे की जड़ होती हैं. जो दांतों के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण होती है.

जड़ की दांतुन करने पर दातों में होने वाले विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे पायरिया, दांतों का हिलना, दांतों में दर्द होना और दांतों को साफ करने के लिए काफी महत्वपूर्ण रहती है.इस पौधे की जड़ को पानी से साफ कर के हल्के से इसे आंच पर सेंक लें फिर इससे धीरे-धीरे अपने दांतों की साफ करें आपके दांतों में होने वाले विभिन्न रोग इसके करने से पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे.

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वैद्य सुभाष चतुर्वेदी बताते हैं कि औंघा का पौधा हमारे शरीर में होने वाली विभिन्न बीमारियों को भी ठीक करता है. इसके अलावा नव प्रसूता महिलाओं के लिए इस पौधे की जड़ नीम और बबूल के साथ मिलाकर प्रक्षालन हेतु बहुत उम्दा काम करती है. विश्व विख्यात आचार्य चाणक्य के पिता आचार्य चणक के अनुसार यह जड़ कथित रूप से प्रेतबाधा से पीड़ित रोगियों के उपचार के लिये भी रामबाण औषधि है.

हालांकि न्यूज 18 समूह किसी भी प्रकार के भूत-प्रेतों में विश्वास नहीं करता और अन्धविश्वास को बढ़ावा देने के स्थान पर उनके उन्मूलन के लिये प्रयासरत है. आजकल कई कस्बाई क्षेत्रों से सम्मोहन कर ठगी की घटनाएं सामने आ रही हैं. और अपामार्ग की जड़ किसी भी प्रकार के सम्महोन (हिप्नोटिज्म) के असर को या तो होने नहीं देता यदि हो चुका है. तो उसका खात्मा करता है.

(इस खबर में दी गई दवा/औषधि और हेल्थ बेनिफिट रेसिपी की सलाह, हमारे एक्सपर्ट्स से की गई चर्चा के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, न कि व्यक्तिगत सलाह. हर व्यक्ति की आवश्यकताएं अलग हैं, इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही, कोई चीज उपयोग करें. कृपया ध्यान दें, Local-18 की टीम किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगी.)

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