देखने में खूबसूरत और बड़ा साइज, इस अमरूद के स्वाद का जवाब नहीं, साल भर करते हैं लोग इसका इंतजार
मनीष पुरी/भरतपुर. राजस्थान के भारतपुर का नाम फल उत्पादक क्षेत्र में नबंर एक पर आता है. और यहां का भुसावर आम पूरा देश में अलग पहचान रखता है. लेकिन अब वैर क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा है.करीब ढाई दशक से वैर क्षेत्र के लोगों ने भी फलदार खेती में शुरूआत कर नाम कमाया है.पहले से ही बेर की खेती के लिए उत्तर भारत में प्रसिद्ध रहा वैर क्षेत्र अब एक ऐसे फल की खेती के लिए नाम कमा रहा है.जिसे वैर के पेडे़ के नाम से भी बेचा जाता है,
जी हाँ पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों की समझ में आ गया होगा कि हम कौन से फल की बात कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं.आंवला के बाद विटामिन सी के सबसे बड़े वनस्पति जन्य स्रोत अमरूद की अमरूद की खेती ने यहां के किसानों की काया पलट कर दी है.आमतौर पर यहां L49 किस्म के अमरूद की खेती प्रमुखता से की जाती है.अमरूद की खेती को लेकर एक मुख्य बात यह भी है.कि पौधारोपण के 5 वर्षों में इस फल की पहले हारवेस्टिंग की जाती है.
स्वाद में भी है बेमिसाल
हारवेस्टिंग होने तक अमरूद के खेत में हम अन्य इन्टर क्रॉप लेकर अपनी कमाई को सुचारू रख सकते हैं.और एक बार जब अमरूद के पेड़ों से फसल उतरने लग जाती है.तो किसान को पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ती है.L 49किस्म का अमरूद देखने में तो बहुत सुंदर होता ही है.साथ ही इसका बेमिसाल स्वाद अमरूद की अन्य किस्मों की तुलना में बहुत बेहतर माना जाता है.
बेहद बड़ा होता है इस अमरुद का साइज
अमरूद उत्पादक किसान बहादुर सिंह से बात करने पर पता चला कि इस वैरायटी के अमरूद की साइज 400 से 500 ग्राम तक हो जाती है.और जयपुर,दिल्ली सूरत सहित देश की अन्य प्रमुख सब्जी मण्डियों में इसकी भारी डिमाण्ड रहती है. एक बीघा खेत में अमरूद के 37 पेड़ लगाए जा सकते हैं. जिन पर कम से कम 200 क्विंटल अमरूद एक सीजन में तैयार होता है. और यह है.एक किसान परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए पर्याप्त है. किसान बहादुर सिंह ने बताया कि अब इस अमरूद की कीमत बाजारों में ₹40 से ₹50 किलो चल रही है.
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FIRST PUBLISHED : December 19, 2023, 12:00 IST