नई नवेली 1439 पंचायतें, दो साल में अफसर सिर्फ 46 का ही बसा पाए घर

जयपुर. प्रदेश में कांग्रेस सरकार आने के बाद बनाई गई 1400 से अधिक ग्राम पंचायतें आज बेघर हैं। सरकार ने पंचायत चुनावों से पहले पुनर्गठन के जरिए नई पंचायतों को नाम तो दे दिया, लेकिन अफसरों की लेटीलतीफी ऐसी रही कि दो साल बीतने के बाद भी इनमें से 97 प्रतिशत नई नवेली पंचायतों को अपना नया कार्यालय भवन ही नहीं मिल पाया है। जुगाड़ के जरिए इनमें से अधिकतर पंचायत भवन या तो किसी स्कूल, सामुदायिक भवन में या फिर किसी अन्य सरकारी कार्यालय में संचालित हैं। सरकार ने 2019 के पुनर्गठन के जरिए 1456 नई पंचायतें बनाई थीं। इनमें से खुद पंचायत राज विभाग ने 1439 के लिए भवन की आवश्यकता का आकलन किया था। लेकिन पंचायत राज के अफसरों और कलक्टरों की निगरानी के बावजूद इनमें से महज 46 कार्यालय भवन ही अब तक बन पाए हैं। इन 1439 में से सौ से अधिक पंचायतों के लिए तो अब तक भूमि ढूंढने की औपचारिकता ही पूरी नहीं हो पाई है।
पंचायत समितियों में तो महज एक ही पूरी
2019 के पुनर्गठन में सरकार ने 57 नई पंचायत समितियां भी बनाई थी। लेकिन अफसर जैसे इनको तो भूल ही गए। 48 में भूमि आवंटन तो हुआ, लेकिन महज एक में ही काम शुरु हो पाया है। 47 पंचायत समिति भवन आज भी बाट जोह रही हैं कि कब अधिकारी उनके भवनों की सुध लेंगे?
केस 1— चार पंचायतें, चारों में ठिकाना उधार का
जयपुर की शाहपुरा पंचायत समिति क्षेत्र में बनी 4 नई ग्राम पंचायतों में से चारों ही उधार के भवनों में संचालित है। मामटोरी सामुदायिक केंद्र में, निठारा उप स्वास्थ्य केंद्र में और पीपलोद नारायण व शिवसिंहपुरा ग्राम पंचायतें पुराने स्कूल भवनों में संचालित है।
केस 2— डेयरी और दुकानों में भी कामकाज
फोटो… गोविंदगढ़ पंचायत समिति में भी चार पंचायतें नई बनी थी। इनमें से निदौला डेयरी भवन में, नृसिंहपुरा व कानपुरा सामुदायिक भवन में और कंवरपुरा निजी दुकानों में संचालित हैं। भवन शुरु तो हुए, लेकिन महीनों बाद भी अधूरे हैं।
अफसरों की सुस्ती का गणित
1439 कुल नई ग्राम पंचायतों में बनने थे भवन
1341 में दो साल में हो पाया भूमि आवंटन
946 में अब तक हो पाया निर्माण कार्य शुरु
346 में तो अभी ईंट भी नहीं रख पाए अफसर
46 भवन ही अब तक हो पाए पूरे