Rajasthan

नागभट्ट को आया सपना..महादेव ने दिया ये आदेश, अफगानों से जुड़ा है इस मंदिर का इतिहास

सोनाली भाटी /जालौर:- राजस्थान में जालौर जिले के भीनमाल में एक ऐसे महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है, जो काफी चर्चा में है. यहां का इतिहास नागभट्ट प्रथम से लेकर अफगान लूटेरे महमूद गजनी से जुड़ा है. आज हम भीनमाल के नीलकंठ महादेव मंदिर की बात कर रहे हैं.

करीब 1400 साल बाद अब राव प्रेमसिंह ने ही इस नीलकंठ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है. कारोबारी और समाजसेवी प्रेमसिंह जालौर के भीनमाल के ही रहने वाले हैं. उन्होंने उच्च शिक्षा जोधपुर और दिल्ली से हासिल की. इस मंदिर के जीर्णोद्धार कार्यक्रम में उन्होंने 1 करोड़ 11 लाख रुपए जोशीमठ में देने का ऐलान किया, तो वहीं 500 बच्चियों के पढ़ाई का जिम्मा भी अपने ऊपर लिया. इसके अलावा 50 हजार रुद्राक्ष के पौधे जालौर और भीनमाल इलाके के लोगों को मुफ्त में बांटे थे.

नीलकंठ महादेव का इतिहास
राजस्थान में जालौर के भीनमाल में स्थित इस नीलकंठ महादेव मंदिर का इतिहास 1400 साल पुराना है. नागभट्ट प्रथम ने इसकी शिला रखी थी. बताया जाता है कि 730 ई. में राजा शाह जुनैद ने भारत की सीमाओं पर आक्रमण किया था और नागभट्ट प्रथम ने उसे वापिस खदेड़ा. अफगानों को भारत की सीमाओं से बाहर भगाने के लिए नागभट्ट उज्जैन महाकाल के दर्शन के लिए रवाना हुए. इसी दौरान वो भीनमाल नामक जगह पर रुके. भीनमाल का प्राचीन नाम श्रीमाल भी हुआ करता था. यहां नागभट्ट को भगवान शिव का सपना आया और उन्हें वहीं रुकने को कहा. जिसके बाद नागभट्ट ने इसी जगह पर नीलकंठ महादेव मंदिर की स्थापना की.

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इस दिन हुई मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा

मंदिर के पुजारी पंडित विनोद त्रिवेदी ने बताया कि 27 जनवरी 2023 को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई और आज महाशिवरात्रि का पर्व है. महाशिवरात्रि के पर्व पर आजू-बाजू के गांव के लोगों की यहां काफी भीड़ रहती है. यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन करने और मनोकामना मांगने आते हैं.

Tags: Hindu Temple, Local18, Mahashivratri, Rajasthan news

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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