न्याय के ‘टीले’ से अब जनता की अदालत मेें योरओनर, जजों का राजनीति में जाने का सिलसिला है काफी पुराना, यहां चेक करें पूरी लिस्ट | Judges like abhijit gangopadhyay fight elections check full list here

जज जो मंत्री, मुख्यमंत्री बने…
एमसी छागला – बॉम्बे हाईकोर्ट और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जज रहे। 1963 में सांसद और जवाहरलाल नेहरू सरकार में मंत्री बने।
बहरूल इस्लाम -सुप्रीम कोर्ट जज से इस्तीफा देकर बारपेटा (असम) लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार बने।
केएस हेगड़े– 1973 में वरीयता लांघ कर जस्टिस एएन रॉय को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने पर जजशिप छोड़ी। जनता पार्टी के टिकट पर बेंगलूरू नॉर्थ सीट से चुनाव जीत कर लोकसभा स्पीकर बने।
गुमानमल लोढ़ा– राजस्थान हाईकोर्ट में जज व गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहने के बाद राजस्थान की पाली लोकसभा सीट से तीन बार भाजपा सांसद।
विजय बहुगुणा – विजय बहुगुणा ने 1995 में बॉम्बे हाईकोर्ट के जज पद से इस्तीफा दिया और बाद में सांसद और उत्तराखंड के सीएम रहे।
न्यायाधीश पद से इस्तीफा देकर सक्रिय राजनीति में हुए शामिल
इंदिरा गांधी सरकार में कानून मंत्री रहे एचआर गोखले व पी.शिवशंकर,जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री रहे डीडी ठाकुर न्यायाधीश पद से इस्तीफा देकर राजनीति में उतरे।
राज्यसभा जाते रहे हैं पूर्व न्यायाधीश
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के अगुवा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और पूर्व चीफ जस्टिस रंगनाथ मिश्र उड़ीसा से कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य रहे।
राष्ट्रपति नहीं बन पाए पूर्व जस्टिस
दलों की सामान्य चुनावी राजनीति से अलग देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के लिए पूर्व न्यायाधीश चुनाव लड़ते रहे हैं। अभी तक कोई पूर्व जस्टिस राष्ट्रपति नहीं बने हैं।
कोका सुब्बा राव– वर्ष 1967 में जजशिप छोड़ राष्ट्रपति चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
पहले जयपुर के सांसद फिर बने न्यायाधीश राजनीति से तौबा कर न्यायपालिका में माननीय बनने वालों की सूची भी छोटी नहीं है। राजस्थान में जयपुर से पहले सांसद रहे दौलतमल भंडारी राजनीति छोड़ राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे। बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस वीएम तारकुंडे रेडिकल डेमोक्रेटिक पार्टी (आरडीपी) के पदाधिकारी रहे। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस राजिंदर सच्चर भी जज बनने से पहले राजनीति में थे। राजस्थान सरकार में मंत्री रहे वेदपाल त्यागी बाद में हाईकोर्ट जज बने।
‘न्यायपालिका में तपस्या, राजनीति में खुलापन’
-जस्टिस टी एस ठाकुर, पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
सीजेआई चंद्रचूड़ की नसीहत
जजों और वकीलों की निष्ठा सिर्फ संविधान के लिए होनी चाहिए। जजों का किसी भी पार्टी के हितों से कोई मतलब नहीं होना चाहिए। – चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, नागपुर के एक कार्यक्रम में।