पति की दोनों किडनी खराब होने से पत्नी देने को तैयार, अब आर्थिक सहयोग की दरकार
जयपुर/आंतेला. कुदरत का दिया दर्द शब्दों में बया नहीं हो सकता है, लेकिन आंखों के आंसू काफी कुछ बयां कर देते है। ऐसी ही दर्द भरी जिन्दगी की दास्ता विराटनगर उपखंड के ग्राम सीतापुरा स्थित सुण्डा की ढाणी निवासी 32 वर्षीय महेन्द्र कुमार यादव की है। बचपन में 8 साल की उम्र में पिता और 17 साल की उम्र में मां का देहांत हो गया।
इतना ही नहीं तीन साल पहले बड़ा भाई हनुमान सहाय भी गंभीर बीमारी की चपेट में आकर पत्नी व एक बेटी को छोड़कर दुनिया को अलविदा कह गया। छोटा भाई बलवान मूक-बधिर है। पूरे परिवार की जिम्मेदारी महेन्द्र के कंधों पर आ गई। महेन्द्र परिवार का पालन पोषण करने के लिए मजदूरी व खेती बाड़ी के काम में जुट गया। मजदूरी में पत्नी सुमन भी हाथ बंटाने लगी। हंसते खेलते परिवार पर उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब महेन्द्र यादव की दोनों किडनी खराब हो गई। पत्नी सुमन ने बताया कि पति की जिन्दगी बचाने के लिए किडनी देने को तैयार हूं, पर पूरे इलाज के लिए इतना पैसा नहीं है।
पहले जयपुर अब शाहपुरा में ले रहे उपचार…..
गत फरवरी में जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल में जांच में पता चला की महेन्द्र की दोनों किडनी 90 प्रतिशत खराब है। उपचार को लेकर 4 माह जयपुर अस्पताल में भर्ती रहा। इस बीच ऑपरेशन भी किया,लेकिन मर्ज बढ़ता गया। अस्पताल में उपचार तो नि:शुल्क मिला, लेकिन कई जांच व दवाइयां बाहर से मंगवाई जाती थी। उपचार में मोटा पैसा लगने से महेन्द्र के आर्थिक स्थिति और भी नाजुक हो गई।
इस दौरान चिकित्सकों ने सप्ताह में दो बार डायलिसिस करवाने के बोला था। जिससे पीड़ित महेन्द्र 4 माह जयपुर स्थित धर्मशाला में बसेरा लेकर उपचार कराया। अब पैसे के अभाव में शाहपुरा के निजी अस्पताल में उपचार चल रहा है। पीड़ित के उपचार व किराए सहित माह के 12 हजार रुपए खर्च हो रहे है। परिवार आर्थिक तंगी झेल रहा है और इतना पैसा नहीं है कि किडनी प्रत्यारोपण करा सके।
चार बेटियोंं की परवरिश का जिम्मा
महेन्द्र की दोनों किडनी खराब होने पर पत्नी सुमन ने किडनी देने को तैयार होकर पति को हिम्मत दी। हालांकि आर्थिक तंगी के बीच पीड़ित परिवार पर 9 वर्षीय बेटी पायल, 7 वर्षीय बेटी गरिमा, 5 वर्षीय बेटी, खुशबू, डेढ़ वर्षीय बेटी नाहिरा सहित चार बेटियों की परवरिश की जिम्मेदारी भी है। सुमन महेन्द्र को तीसरे दिन शाहपुरा अस्पताल ले जाकर डायलिसिस करवाती है और मजदूरी कर परिवार का पेट पाल रही है। पति के बेहतर इलाज को लेकर उसकी उम्मीद आर्थिक मदद पर टिकी है।
ट्रांसप्लाट जैसा महंगा खर्चा पहुंच से बाहर
पीड़ित परिवार के पास बीपीएल कार्ड तो है,लेकिन खाद्य सुरक्षा के अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। कार्ड से अस्पताल में डायलसिस सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध होती है। किडनी ट्रांसप्लाट जैसा महंगा उपचार कराना पीड़ित परिवार के पहुंच से बाहर है।
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उपचार में मोटा खर्चा, सहयोग की अपील
लुहाकना कला सरपंच धर्मेन्द्र कुमार मीणा ने बताया कि सीतापुर निवासी महेन्द्र जयपुर स्थित अस्पताल में किडनी की गंभीर बीमारी में मोटा पैसा खर्च होने से टूट चुका है। उन्होंने पीड़ित परिवार की भामाशाहों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों और स्वयंसेवी संस्थाओं से आर्थिक सहयोग की अपील की है।