पशुओं के लिए भी होते हैं आकर्षक गहनें, घंटी, माला और घुंघुरू हैं इनमें सबसे खास

मोहित शर्मा/करौली. राजस्थान की धार्मिक नगरी करौली में दीपावली के अवसर पर गौ पूजन और पशुधन पूजन की अनोखी परंपरा वर्षों से चली आ रही है. यहां पर दीपावली और गोवर्धन पूजा वाले दिन ग्रामीण क्षेत्रों में दुधारू पशुओं का पूजन तों शहरी क्षेत्र में, गौ माता के पूजन करने की बरसों पुरानी मान्यता है.
पशुधन पूजन की इसी परंपरा के चलते करौली शहर के दो मुख्य बाजार दिवाली से पहले ही पशुओं के गहनों से सजना शुरू कर देते हैं. दिवाली पर पशुधन के पूजन को देखते हुए शहर का बड़ा बाजार और अनाज मंडी बाजार पशुओं के दर्जनों प्रकार के गहनों से सज जाता है.
विशेष बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने पशुओं के खास श्रृंगार के लिए दिवाली के अवसर पर इन पशुओं के गहनों को खरीदने में काफी ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं. खासकर धनतेरस से लेकर दिवाली तक पशुओं के इन दर्जनों प्रकार के गहनों की करौली शहर के बाजारों में सबसे ज्यादा मांग देखी जाती है.
गौ पूजन का है विशेष महत्व
पशुओं के गहनों के व्यापारी विक्की गुप्ता बताते हैं कि करौली में गौ पूजन का दिवाली पर विशेष महत्व है. खासकर इस परंपरा का विशेष महत्व करौली के ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है. यह परंपरा सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी हुई है. वह बताते हैं कि मुख्यतः शहर के दो बाजार पशुओं के श्रृंगार के समान से सजाए जाते हैं. दिवाली पर यहां ₹10 से लेकर ₹100 तक के जानवरों के आभूषण काफी मात्रा में बिकते हैं.
तीन दिन का रहता है खास बिक्री का बाजार
वहीं दूसरी ओर व्यापारी शैलेंद्र गोयल का कहना है कि दिवाली पर जानवरों की पूजा का यह कार्यक्रम यहां काफी सालों से लगातार चलता रहा हैं. पशुओं की इन गहनों की बिक्री का हमारे यहां तीन दिन धनतेरस से लेकर गोवर्धन पूजा तक काफ़ी व्यापार रहता है. उनका कहना है की मान्यता अनुसार करौली में दिवाली पर गौ माता सहित सभी दुधारू पशुओं को पूजा जाता है.
मध्य प्रदेश से बनकर आते हैं यह गहने
व्यापारियों के मुताबिक, करौली शहर के बाजारों में दीपावली पर यह पशुओं के गहने मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले से बनकर आते हैं. जिसमें पशुओं की कुछ खास गहने की कुछ खास गहने चीपगंडा, पाटिया, घंटी, माला, गूगरू माला, सादा माला, सूत कि डोर, रंग बिरंगे रस्सा दिवाली पर सबसे ज्यादा बिकने वाले गहने हैं.
पशुधन की बढ़ोतरी के लिए बांधे जाते हैं यह गहने
इन गहनों के मुख्य व्यापारी मुकेश अग्रवाल का कहना है कि यह किसान और पशुधन का दोनों का एक मुख्य गहना है. इसलिए दीपावली पर हर किसान इन गहनों को अपने दुधारू पशुओं कि बढ़ोतरी के लिए बांधता है और उनकी सेवा करता है. उनका कहना है की दिवाली पर पशुओं को नए-नए आभूषण पहनाने की यह परंपरा करौली में सदियों से चली आ रही है.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2023, 16:25 IST