पूरा परिवार है दिव्यांग, फिर भी मेहनत कर चला रहे हैं परिवार, बेटे को अफसर बनाना है सपना
जुगल कलाल/ डूंगरपुर. डूंगरपुर के कुछ दिव्यांग समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं. कोई जन्म से दिव्यांग होता है तो कुछ बड़े होकर किसी वजह से दिव्यांग हो जाते हैं. कई ऐसे लोग हैं जिन्हें लगता है कि दिव्यांग होने की वजह वह इस दुनिया में कुछ नहीं कर पाएंगे. उनका मनोबल टूटने लगता है. लेकिन डूंगरपुर में कुछ जन्मजात सूरदास तो कुछ पैरों से दिव्यांग हैं. इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. ये सभी अपनी मेहनत और जज्बे से अपने परिवार का जीविकोपार्जन भी कर रहे हैं.
डूंगरपुर के मझोला के रहने वाला मरता कोटेड का पूरा परिवार दिव्यांग है. मरता और उनकी पत्नी कमला जन्म से ही आंखों से देख नहीं सकते है. बेटा रणजीत बचपन से ठीक था, लेकिन एक हादसे में बेटे की एक आंख से चली गई. मगर दिव्यांग दपंती ने कभी जिंदगी से हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत पर अपने बेटे को पढ़ाया अब दिव्यांग दंपति अपने बेटे को बड़ा अफ़सर बनना चाहते है.
दिव्यांग मरता और कमला मनरेगा में काम करते हैं. इसके अलावा पति आकर अपनी खेती-बाड़ी करते हैं. दिव्यांग बेटा रणजीत पढ़ाई के साथ-साथ अपने दिव्यांग माता-पिता के काम में हाथ बंटाता है. मरता और कमला ने बताया कि वे जन्मजात दिव्यांग हैं. पत्नी कमला ने आज तक खुली आंखों से दुनिया नहीं देखी है. लेकिन यह परिवार आज कड़ी मेहनत कर अपने पैरों पर खड़ा है.
बेटा रणजीत जब 6 साल का था अपने दोस्तों के साथ खेतों में खेल रहा था. तब अचानक खेलते-खेलते उसकी आंख में कांटा घुस गया. इस हादसे में उसकी एक आंख चली गई थी. लेकिन पूरे परिवार ने हार नहीं मानी और काम में जुट गए. इसका असर ये हुआ की आज मरता और कमला ने मिलकर छोटा सा आशियाना बना लिया और बेट को भी पढ़ाई लिखाई करवाता है. कमला अपने सपने के बारे में बताती है कि उनका बेटा पढ़ लिखकर बड़ा अधिकारी बने और परिवार का नाम रोशन करे.
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FIRST PUBLISHED : July 30, 2023, 20:05 IST