Rajasthan

फ्रेश नहीं…सूखने के बाद बढ़ जाती है इस सब्जी की कीमत, 2200 रुपए किलो होती है बिक्री

निखिल स्वामी, बीकानेर. थार रेगिस्तान में पानी की कमी होने की वजह से यहां के लोग पेड़ों पर उगने वाली सुखी सब्जियों पर आज भी निर्भर है. हालांकि राजस्थान के थार रेगिस्तान में पानी तो बढ़ गया है, लेकिन यहां के लोग आज भी पूरे साल सूखी सब्जियां खाते है. इन सूखी सब्जियों को खाने से कई तरह के फायदे होते है. बीकानेर सहित आस पास के इलाकों में कंटीले पेड़ो पर यह सब्जियां सीजन के अनुसार उगती रहती है और लोग इन सब्जियों का स्टॉक भी करते रहते है. बीकानेर में करीब 10 से 12 सूखी सब्जियां मिल जाती है. यह सब्जियां कई-कई माह तक खराब भी नहीं होती है.

दुकानदार उमाशंकर मोदी ने बताया कि बीकानेर व आस-पास के इलाकों में पेड़ो में यह सूखी सब्जियां लोग तोड़कर शहर में बेचते है. इन सभी सब्जियों में सभी तरह के पोषक तत्व रहते है. जिससे शरीर में कई बीमारियां दूर रहती है. आमतौर पर कई लोग अच्छा मुनाफा के लिए केमिकल युक्त सब्जियां बेचते है, लेकिन यह सूखी सब्जियां प्राकृतिक रूप से सीजन के अनुसार मिलती है.

इन सूखी सब्जियों को लोग आज भी बाजरे की रोटी के साथ खाते है. इन राजस्थानी सब्जियों को देशी और शाही सब्जी भी कहते है. आज यह सब्जियां राजस्थान के लगभग सभी होटल और ढाबा तथा रेस्तरां में देखने को मिल जाएगी.

यह है सूखी सब्जियां
दुकानदार उमाशंकर बताते है कि बाजार में सांगरी, केर, कुमटिया, भेह, काचरी, ग्वारफली, फोफलिया, मेथी, काचर, खोखले होते है.

यह रहता है सीजन
सांगरी दो से तीन तरह की आती है. यह सबसे पहले वैशाख में उगती है. यह पहले फली नुमा होती है. फिर इसको तोड़ने के बाद सूखाया जाता है. यह बारीक सांगरी हो जाती है. जैसे जैसे समय निकलता है वो मोटी होने लगती है. फिर बीज बढ़ जाता है. मीडियम सांगरी 800 तथा बड़ी सांगरी 600 रुपए किलो बिकती है. सबसे बढ़िया केर मार्च व अप्रैल के माह में आता है. केर के भी अलग अलग साइज होता है. बारीक केर सबसे महंगा होता है. यह 2000 से 2200 रुपए किलो बेचते है.

अलग-अलग साइज के केर 500 से 1500 रुपए बेचे जाते है. काकड़िया को सुखा कर खिलरा होता है. यह 200 रुपए किलो बेचते है. टिंडसी को सूखाकर फोफलिया होता है. मार्च अप्रैल में फोगला आता है. यह बाजार में 300 रुपए किलो बेचते है.

ग्वार फली अलग अलग साइज की मिलती है यह 500 से 1500 रुपए किलो मिलती है. दीपावली पर काचरी आती है. इस काचरी को सुखाया जाता है. इसके बाद काचरी को दो टुकड़े करके सुखाया जाता है इसको खोखला बोलते है. यह बाजार में 100 रुपए किलो बेच रहे है. कुमटिया 240 रुपए किलो, भेह 500 रुपए किलो, काचरी 160 रुपए किलो, साबुत अमचूर 400 रुपए किलो, खेदडा 160 रुपए किलो, ग्वारफली 800 रुपए किलो बेचते है.

Tags: Bikaner news, Farming, Local18, Rajasthan news

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