Rajasthan

बढ़ रहे बाघ…धौलपुर बन रहा वन्यजीवों का नया कॉरिडोर

सवाईमाधोपुर। रणथम्भौर का ही हिस्सा रहे धौलपुर अभयारण्य में भी बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। बाघों की संख्या के मामले में अब धौलपुर प्रदेश में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। वर्तमान में यहां दस बाघ-बाघिन व शावक हैं। इससे अधिक बाघ-बाघिन व शावक प्रदेश में केवल रणथम्भौर (Ranthambore) व सरिस्का (Sariska) में ही हैं। हालांकि यह आंकड़ा धौलपुर व करौली के जंगलों को मिलाकर टाइगर रिजर्व घोषित करने के बाद सामने आया है। घोषणा होने के कुछ ही दिन बाद धौलपुर में टी-117 तीन शावकों के साथ नजर आई थी।

वहीं करौली के कैलादेवी अभयारण्य (Kailadevi Sanctuary) में बाघिन टी-135 दो शावकों के साथ कैमरे में कैद हुई थी। ऐसे में अब इस नए टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़कर 10 हो गया है। प्रदेश में 120 से ज्यादा बाघ-बाघिन व शावक हैं। लगातार नए शावकों के आगमन की सूचना भी आ रही है। धौलपुर रिजर्व (Dholpur Reserve) बाघों के लिए रणथम्भौर के बाद सबसे अधिक मुफीद हो सकता है। इसका कारण रणथम्भौर से सीधा जुड़ाव होना है।

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अब तक प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व को आबाद करने के लिए बाघ-बाघिनों को रणथम्भौर से दूसरे टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया है, लेकिन धौलपुर रिजर्व में इन इलाकों को शामिल किया गया हैं। वह पूर्व में सीधे ही रणथम्भौर के प्राकृतिक टाइगर कॉरिडोर से जुड़े हुए हैं और रणथम्भौर से टेरेटरी की तलाश में पूर्व में भी कई बाघ-बाघिन करौली के अभयारण्य और धौलपुर में शरण ले चुके हैं। धौलपुर टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है।

‘यह विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है।-किशोर गुप्ता, उपवन संरक्षक, धौलपुर

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