Rajasthan

बदलते मौसम के बाद बच्चो में बढ़ रहा वायरल इंफेक्शन, जानिए क्या बरते सावधानी

कृष्णा कुमार गौड़/जोधपुर. हमें अक्सर देखने को मिलता है कि मौसम बदलते ही बच्चे सबसे ज्यादा बीमार पड़ने लगते हैं. विशेष रूप से जब मानसून के आने या गर्मियों से सर्दियों में जाने के समय, बच्चों के लिए बीमारियों का घर बन जाता है. मौसम बदलने पर बच्चों को आमतौर पर वायरल बुखार, सर्दी-खांसी, इन्फेक्शन और अन्य संक्रमण होने लगते हैं. ऐसे में बात जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के जनाना एवं शिशु विंग की करे तो यहां पर बच्चो की ओपीडी में आम दिनो के मुकाबले बडी संख्या में पेरेंट्स अपने बच्चों को लेकर इलाज के लिए पहुंच रहे है.

जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के जनाना एवं शिशु विंग के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. हरिमोहन का कहना है कि बदलते मौसम में बड़ों के साथ बच्चों को भी कुछ मौसमी बीमारियां होने लगती हैं, लेकिन यह बीमारियां यदि बच्चों में बार-बार हो रही हों तो सतर्क रहने की आवश्यकता है. इस मौसम में बच्चों की बीमारियों के कुछ लक्षणों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है.

निमोनिया कही आपको पहुंचा न दे अस्पताल
डॉ. हरिमोहन के अनुसार, बच्चों में जुकाम, खांसी, बुखार, बदन दर्द और सिर दर्द जैसे सामान्य लक्षण आमतौर पर हो सकते हैं, लेकिन यदि खांसी के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ है तो इसे तुरंत अस्पताल में या फिर किसी डॉक्टर को दिखाकर उपचार लेना जरूरी है, नहीं तो यह बीमारी गंभीर रूप से बढ़ सकती है और अस्पताल में भर्ती की जा सकती है.

इंफेक्शन से बचना है तो बरते यह सावधानियां
चिकित्सकों की माने तो जिस प्रकार हमने कोविड के समय सावधानियां बरती गई, उसी सावधानी को ध्यान में रखकर हम काम करे तो काफी हद तक हम इस वायरल इंफेक्शन को रोकने में काफी मदद मिल सकती है. अगर 6 महीने से छोटा बच्चा है तो उसको मां का दूध ही पिलाना चाहिए. नियमित रूप से कई बार देखने को मिलता है की लोग टिकाकरण नही कराते ऐसे में उनको टिकाकरण करना चाहिए. ताकि वायरल इंफेक्शन के साथ बेकटिरियल इंफेक्शन को भी रोका जा सके.

प्रदूषण भी रहा मुख्य कारण
दीपावली के बाद जोधपुर में विशेष रूप से देखा गया है कि प्रदूषण काफी हद तक जोधपुर का बढ़ा है. इससे वायरल इंफेक्शन के साथ अस्पताल के अंदर अस्थमा के मरीज बढे है. ऐसे अस्थमा के मरीज समय रहते ईलाज ले तो उनके लक्षणों पर कंट्रोल करने में कामयाबी मिल सकती है. प्रदूषण आउटडोर और इंडोर पॉल्यूशन होते है. पटाखे इत्यादि नही जलाकर हम कंट्रोल कर सकते है, साथ ही पेट्रोल और डीजल के वजनों से भी प्रदूषण बढ़ा है जिसको कंट्रोल किया जा सकता है.

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