कर्म ही धर्म: करोड़ों की संपत्ति लात मार संयम पथ पर चला 26 साल का नीलेश, 23 नवंबर को छत्तीसगढ़ में होगी दीक्षा

बाड़मेर. कहते है कि इंसान पढ़ लिखकर घर चलाने के लिए, दो जून की रोटी के जुगाड़ में लग जाता है. वहीं व्यापार में लगने वाले अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए जी जान से जुटे रहते हैं लेकिन कहते हैं जिसके मन में धर्म की धुन लग जाती है उसके लिए पैसा, पद और संपत्ति का कोई मोह नहीं रहता है. ऐसा ही कुछ एक युवा के कदम से सार्थक होता नजर आ रहा है.
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बाड़मेर के 26 साल के नीलेश घर के इकलौते बेटे हैं और करोड़ों की संपत्ति, आलीशान घर और काम को छोड़कर संयम पथ अंगीकार करने जा रहे हैं. नीलेश के पिता पुरुषोत्तम दास का साल 2003 में बीमारी की वजह से निधन हो गया था. बीकॉम करने के बाद नीलेश का बतौर चार्टर्ड एकाउंटेंट बहुत बढ़िया काम चल रहा था लेकिन एक दिन सब कुछ से मन विरक्त हो गया.
जिंदगी में पैसा और संपत्ति से बढ़कर धर्मजब नीलेश की मां उषा देवी को बेटे के भाव पता चले तो उन्होंने भी खुशी के साथ बेटे को जैन दीक्षा के लिए तैयार किया. आगामी 23 तारीख को छत्तीसगढ़ के रायपुर दादावाड़ी में आयोजित होने वाले पंचालिका महोत्सव में नीलेश को उनके गुरु रजोहरन प्रदान करेंगे. बाड़मेर से रायपुर जाने से पूर्व गणिवर्य कमल प्रभसागरजी म.सा. व साध्वी कल्पलता श्रीजी म.सा. आदि ठाणा की पावन निश्रा व परमात्मा के रथ के साथ मुमुक्षु निलेश मेहता का भव्य वर्षीदान का वरघोड़ा गौतमचन्द भूरचन्द मेहता परिवार द्वारा निकाला गया है. मुमुक्षु नीलेश मेहता ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताते है कि जिंदगी में पैसा और संपत्ति से बढ़कर धर्म है. दीक्षा के बाद जब सब कुछ बदल जाएगा. वह धवल वस्त्र हर किसी की किस्मत में नहीं लिखे होते है. मुमुक्षु नीलेश बताते हैं कि 24 तीर्थंकरों की वाणी को हर एक तक पहुंचाना उनकी जिंदगी का अब प्रथम और आखिरी ध्येय है.
FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 17:19 IST