बादाम के तेल से भी ज्यादा ताकतवर है ये चीज, आयुर्वेद में मानते हैं अमृत, दो बूंद से बढ़ जाती है आंखों की रोशनी, गायब हो जाते हैं खर्राटे
हाइलाइट्स
बादाम का तेल कई बीमारियों में रामबाण होता है लेकिन इससे भी ज्यादा उपयोगी देसी गाय का घी होता है.
आयुर्वेद में किसी अन्य ब्रीड के बजाय देसी गाय के घी को ही मेडिकली इस्तेमाल करने के योग्य माना गया है.
Almond Oil or Desi Cow Ghee for Improving Eye sight naturally: मेवाओं का राजा बादाम जैसे सेहत के लिए गुणकारी होता है, वैसे ही बादाम का तेल उससे भी ज्यादा ताकतवर और लाभदायक होता है. विटामिन ई से भरपूर यह तेल बालों और त्वचा को पोषण देने के अलावा शरीर की कई बीमारियों में फायदा पहुंचाता है. यह न केवल खाने में इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि इसे लगाया भी जा सकता है. खासतौर पर आंखों की रोशनी बढ़ाने और मस्तिष्क के लिए बादाम के तेल के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है लेकिन क्या आपको मालूम है कि बेहद कीमती मिलने वाले इस बादाम तेल से भी ज्यादा गुणकारी भारत में एक चीज मिलती है, जो न केवल इससे सस्ती है बल्कि उसके फायदों के आगे यह तेल कुछ भी नहीं है.
आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में बादाम के तेल से भी शुद्ध माना जाता है देसी गाय का घी. ध्यान देने वाली बात है कि आयुर्वेदिक या प्राकृतिक चिकित्सक भारत में मौजूद किसी भी ब्रीड की गाय के घी को शुद्ध नहीं मानते. सिर्फ देसी गाय का घी ही शुद्ध और मेडिकली इस्तेमाल करने के योग्य माना गया है.
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फरीदाबाद स्थित जाने-माने प्राकृतिक चिकित्सक मेहर सिंह बताते हैं कि देसी गाय का घी, बादाम के तेल से कहीं आगे है. बादाम का तेल भी कुछ मामलों में उपयोगी है लेकिन गुणों में यह देसी गाय के घी का मुकाबला नहीं कर सकता है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि जैसे सौंफ ठंडी होती है और लोंग गर्म होती है. ऐसे में अगर आपको सर्दी लगी है तो आप लोंग इस्तेमाल करेंगे, वहीं अगर एसिडिटी या पेट में गर्मी की दिक्कत है तो आप सौंफ का उपयोग करेंगे. आयुर्वेद में इसी प्रकार चीजें इस्तेमाल होती हैं लेकिन देसी गाय का घी ऐसा है जो गर्मी हो या सर्दी सभी में अपनी तासीर बदल लेता है और फायदा पहुंचाता है.
बादाम तेल से इसलिए बेहतर है देसी गाय का घी
मेहर सिंह कहते हैं कि वैज्ञानिक रूप से बादाम की प्रकृति एसिडिकअ यानि अम्लीय है. यहां तक कि सभी मेवाएं एसिडिक ही होती हैं. जबकि प्राकृतिक रूप ये देसी गाय का घी एल्केलाइन यानि क्षारीय होता है. अब चूंकि दिमाग को ठंडक चाहिए होती है तो उसको एल्केलाइन चीजें चाहिए होती हैं, न कि अम्लीय. हालांकि हमारा देश भारत प्राकृतिक रूप से काफी समृद्धिशाली है. यहां ऋतुएं बदलती रहती हैं. ऐसे में शरद यानि सर्दी के मौसम में बादाम का तेल इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन देसी गाय का घी किसी भी मौसम में इस्तेमाल करने योग्य है. शर्त यह है कि वह देसी गाय का ही घी होना चाहिए.
इन बीमारियों में है फायदेमंद
प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार देसी गाय का घी गले से ऊपर के सभी अंगों के लिए रामबाण है. यह गले से ऊपर नाक, कान, आंख, ब्रेन आदि सभी अंगों की बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है. यहां तक कि अनुभव और अध्ययनों में भी यह बात कही गई है कि कुछ खास बीमारियां जैसे अनिद्रा, सिरदर्द, कमजोर आंखें आदि में गाय का घी फायदा पहुंचाता है. यह आंखों की रोशनी बढ़ाने के अलावा खर्राटों को पूरी तरह बंद करता है. इसके नियमित इस्तेमाल से कई लोगों का चश्मा भी उतर चुका है, सफेद बाल भी काले हुए हैं. ऐसे कई मरीज हैं, जिन्होंने 50 और 60 की उम्र में देसी गाय के घी का इस्तेमाल किया और 1 वर्ष के बाद उनके चश्मे के नंबर घट गए हैं.
देसी गाय का घी ऐसे करते हैं इस्तेमाल
डॉ. मेहर कहते हैं कि देसी गाय के घी को नाक के दोनों छिद्रों में नियमित रूप से डालना होता है. लगातार तीन महीने तक इस्तेमाल करने के बाद इसका असर दिखाई देने लगता है. वहीं अगर 6 महीने या सालभर तक इस प्रक्रिया को जारी रखा जाता है तो यह कई बीमारियों को एक साथ खत्म करने में भी कारगर है.
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FIRST PUBLISHED : August 26, 2023, 15:04 IST