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ज्योतिरादित्य सिंधिया पिता माधवराव सिंधिया की कुर्सी पर बैठकर हुए भावुक

Last Updated:April 08, 2025, 11:35 IST

Jyotiraditya Scindia: केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता माधवराव सिंधिया से जुड़े सवाल पर इमोशनल हो गए. माधवराव कांग्रेस के सीनियर नेता थे. ज्योतिरादित्य ने पिता की विरासत संभाली और भाजपा में…और पढ़ेंजब पापा की कुर्सी पर बैठे तो कैसा लगा, सिंधिया ने दिया आंखें नम होने वाला जवाब

ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव की मौत 2001 में हो गई.

हाइलाइट्स

पिता की कुर्सी पर बैठकर इमोशनल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया.माधवराव सिंधिया की विरासत संभाल रहे हैं ज्योतिरादित्य.भाजपा में शामिल होकर संचार मंत्री बने ज्योतिरादित्य.

Jyotiraditya Scindia: केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मंगलवार को एक कार्यक्रम में अपने पिता माधवराव सिंधिया से जुड़े एक सवाल को लेकर इमोशनल हो गए. ज्योतिरादित्य ग्वालियर के सिंधिया राजघराने से आते हैं. ग्वालियर इलाके में उनके परिवार का अच्छा खासा प्रभाव है. वह इस वक्त भाजपा के एक सीनियर नेता हैं. वह मोदी सरकार में संचार मंत्री हैं. इससे पहले की मोदी सरकार में उन्होंने नागरिक उड्डन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी. न्यूज 18 के कार्यक्रम राइजिंग भारत में ज्योतिरादित्य सिंधिया से जब सवाल किया किया कि आप अपने पिता की कुर्सी पर बैठे तो आपको कैसा लगाता है. इस सवाल पर वह इमोशनल हो गए.

दरअसल, माधवराव सिंधिया अपने दौर में कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता हुआ करते थे. वह प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार में रेल मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और फिर प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में पहले नागरिक उड्डयन मंत्री और फिर मानव संसाधन विकास मंत्री रहे. 30 सितंबर 2001 को एक विमान हादसे में 56 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई. उनकी मौत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनीति में आए और अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभाला.

पिता की राजनीतिक विरासतज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपने पिता की तरह कांग्रेस पार्टी से राजनीति की शुरुआत की. गुना संसदीय सीट से उपचुनाव लड़कर संसद पहुंचे. पार्टी के टिकट पर कई बार चुनाव जीते और पूर्व पीएम दिवंगत मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे. फिर वह मार्च 2020 में वह भाजपा में शामिल हो गए. उसके बाद पीएम मोदी की दूसरी सरकार में उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया. यानी करीब तीन दशक बाद वह नागरिक उड्डयन मंत्रालय में अपने पिता की कुर्सी पर बैठे थे.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आगे कहा कि वह 2001 में वह अमेरिका में थे. वह अपने बिजनेस पार्टनर के साथ स्टार्टअप पर काम कर रहे थे. उसी सिलसिले में वह इंडिया आए थे. उससे पहले वह अमेरिका में बतौर इंवेस्टमेंट बैंकर के रूप में काम कर चुके थे. उन्होंने आगे कहा कि इस घटना ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी. वह उस वक्त ग्रेजुएशन करके जॉब कर रहे थे. लेकिन पिता की मौत के बाद वह बिजनेस से बाहर आ गए. उन पर पिता की विरासत को संभालने की जिम्मेदारी आ गई. उन्होंने आगे कहा कि वह पिता की तरह राजनीति में समाजसेवा का जरिया बनाया. हालांकि वह आज भी भारत की राजनीतिक कल्चर में बहुत फिट नहीं बैठते हैं. उनके लिए राजनीति समाज सेवा का जरिया है.

First Published :

April 08, 2025, 11:35 IST

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जब पापा की कुर्सी पर बैठे तो कैसा लगा, सिंधिया ने दिया आंखें नम होने वाला जवाब

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