किसानों के लिए वरदान है ये फसल, कम पानी में होगा बंपर पैदावार,नोटों से खचाखच भर जाएगाी तिजोरी

Last Updated:May 07, 2025, 10:55 IST
गोपाल ढाका ने बताया कि बाजरे के भाव में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं रहता है. फसल कटाई के समय इसके भाव अच्छे मिलते हैं. वहीं. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बाजरे के दानों के अलावा इसकी बाकी फसल चारे के रूप में उपयोग ली जाती है…और पढ़ेंX
बाजरे की फसल
अगर किसान अपने खेत में नई फसल बोने की तैयारी कर रहे हैं. तो, बाजरे की फसल अच्छा विकल्प है.उन किसानों के लिए यह अच्छी है जहां बारिश कम होती है. मिट्टी का उपजाऊ पान भी काम है. ऐसे किस बाजरे की खेती कर सकते हैं. राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में यह फसल किसानों को सहारा देती है.
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट और पिछले कई सालों से बाजरे की खेती कर रहे गोपाल ढाका ने बताया कि बाजरे की फसल कम पानी, कम उर्वरक और कम देखभाल में भी अच्छी उपज देती है. उन्होंने बताया कि बाजरे की खेती अन्य फसलों की तुलना में बेहतर है.यह कठिन मौसम की मार के बाद टिकी रहती है. इसके अलावा इसमें किसानों को अन्य फसलों के मुकाबले इसमें कम खर्च करना पड़ता है और मुनाफा भी अधिक मिलता है.
मेहनत और कम लागत वाली फसल गोपाल ढाका ने बताया कि बाजरे के भाव में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं रहता है. फसल कटाई के समय इसके भाव अच्छे मिलते हैं. वहीं. बाजरे के दानों के अलावा इसकी बाकी फसल चारे के रूप में उपयोग ली जाती है. जिस किसान अपने पशुओं को खिला सकते हैं.यह पशुओं के लिए काफी बेहतर मानी जाती है. इसके अलावा बाजरे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी खेती में मेहनत और लागत दोनों की कम लगती है. वही, यह फसल कम सिंचाई में भी अच्छी उपज देती है, जिससे पानी की कमी वाले इलाकों में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है.
कीटों और बीमारियों से सुरक्षितएग्रीकल्चर एक्सपर्ट और पिछले कई सालों से बाजरे की खेती कर रहे गोपाल ढाका ने बताया कि बाजरे के पौधे अधिकतर कीटों और बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं, जिससे कीटनाशकों और दवाइयों पर खर्च नहीं करना पड़ता. इसके अलावा यह फसल जल्दी तैयार हो जाती है, लगभग 75 से 90 दिनों में कटाई के तैयार हो जाती है, जिससे खेत जल्दी खाली होकर अगली फसल के लिए तैयार हो जाता है. इसकी सिंचाई जरूरत भी बहुत कम होती है केवल वर्षा आधारित खेती से भी फसल ली जा सकती है.
इसके बुआई का सही समय राजस्थान में बाजरे की बुवाई खरीफ मौसम में की जाती है, और इसका सबसे सही समय जून से जुलाई तक होता है, जब मानसून की शुरुआत हो जाती है. बुवाई से पहले खेत को 1-2 बार जुताई कर समतल बनाया जाता है. बीजों को बोने से पहले फफूंदनाशक से उपचार करना लाभदायक होता है ताकि बीज जनित रोगों से सुरक्षा मिले. इसमें बाजरा कतारों में बोया जाता है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट गोपाल ढाका ने बताया कि बाजरे की बुआई के समय कतार से कतार की दूरी 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी लगभग 10-12 सेमी होनी चाहिए. इसके अलावा किसान एक हेक्टेयर में लगभग 4-5 किलोग्राम बीज का उपयोग करे.
Location :
Jaipur,Rajasthan
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