बिना इलाज करे इस महिला डॉक्टर ने बचा लीं हजारों जानें, आप भी चाहेंगे एक बार मिलना, जानें क्या करती हैं डॉ. शिवरंजनि
‘नेहा (बदला हुआ नाम) अपने छोटे बच्चे को बेड पर सुलाकर, अपने बड़े बच्चे को खाना खिला रही थीं, तभी उन्होंने देखा कि काफी देर से आवाजें निकाल रहा और करवटें बदल रहा उनका छोटा बच्चा अचानक शांत हो गया. नेहा ने पास जाकर देखा तो उसने चादर अपने ऊपर लपेट ली थी और सांस नहीं आ रही थी. बच्चे की इस हालत पर मां घबरा गई लेकिन फिर अचानक नेहा को कुछ यादा आया और उन्होंने बच्चे को चादर में से निकालकर सीने पर हाथ रखकर जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया. करीब 31 बार सीपीआर देने के बाद आखिरकार बच्चे को सांस वापस आ गई और वह उठ गया. बच्चे को गले से लगाने के बाद नेहा की आंखों से आंसू निकल आए और उन्होंने डॉ. शिवरंजनि संतोष को खूब दुआएं दीं.. फिर ये किस्सा अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर भी किया.’
ऐसी ही जाने कितनी माएं, पत्नियां और लोग हैं जो एक बार डॉ. शिवरंजनि संतोष से मिल चुके हैं और उन्हें शुभकामनाएं भेजते हैं. बिना इलाज किए ही सैकड़ों जानें बचा चुकीं हैदराबाद की पीडियाट्रिशियन डॉ. शिवरंजनि आखिर कौन हैं और क्या करती हैं कि लोग उनसे एक बार मिलना चाहते हैं और उनके काम के मुरीद हैं, आइए जानते हैं…
डॉ. शिवरंजनि (Dr Sivaranjani Santosh) दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण भारतीय सिनेमा के सितारों के बीच भी काफी पॉपुलर हैं. पुष्पा फिल्म के हीरो अल्लू अर्जुन की पत्नी सहित कई स्टार उनकी तारीफ में बहुत कुछ कह चुके हैं, आंध्र प्रदेश सरकार इनका नाम पद्मश्री के लिए भी नॉमिनेट कर चुकी है.
डॉ. शिवरंजनि संतोष 12000 माता-पिताओं को निशुल्क लाइव सेविंग तकनीक सिखा चुकी हैं.
डॉ. शिवरंजनि हैदराबाद में पीडियाट्रिशियन हैं. बच्चों को बेहद प्यार करने वाली ये डॉक्टर सिर्फ इलाज ही नहीं करतीं बल्कि पिछले 14 साल से दक्षिण भारत के कई शहरों में घूम-घूमकर फ्री फर्स्ट एड की ट्रेनिंग दे रही हैं. फ्री फर्स्ट एड ट्रेनिंग में डॉक्टर शिवरंजनि लोगों को लाइफ सेविंग तकनीक सिखाती हैं और सभी को मोटिवेट करती हैं कि इमरजेंसी की स्थिति में डॉक्टर के पास पहुंचने से पहले ये ट्रेंड लोग पीड़ित या मरीज को तुरंत फर्स्ट एड दे सकें और उसकी जान बचा सकें.
क्या करती हैं डॉ. शिवरंजिनि
डॉ. शिवरंजनि वैसे तो पीडियाट्रिशियन हैं लेकिन इलाज के अलावा ये प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग देने के लिए जानी जाती हैं. इन्होंने 2010 में हैदराबाद में ही पहला फ्री फर्स्ट एड कैंप लगाया था. जिसमें लोगों को शामिल करने के लिए उन्हें खूब पापड़ बेलने पड़े. बंगलुरू, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में इन्होंने फ्री कैंप लगा-लगाकर 12000 पेरेंट्स को प्राथमिक उपचार में ट्रेंड कर दिया है. ये सभी लोग किसी भी इमरजेंसी में लोगों की जान बचाते हैं.
फ्री कैंप में क्या सिखाती हैं डॉ. शिवरंजिनि
डॉ. शिवरंजनि संतोष फ्री वर्कशॉप्स में 20 से ज्यादा इमरजेंसी स्थितियों के लिए लोगों को तैयार कर चुकी हैं.
डॉ. अपने कैंप या वर्कशॉप्स में हार्ट अटैक (Heart Attack)आदि की स्थिति में सीपीआर (CPR), सांप के काटने (Snake Bite), फायर बर्न्स (Fire Burns), बच्चे या बड़ों के गले में कुछ अटकने (throat Chocked), बुखार (Fever), डायरिया (Diarrhea), स्तनपान (Breast feeding) सहित करीब 20 इमरजेंसी स्थितियों में जान बचाने वाले तरीके सिखा रही हैं. ये सभी तरीके वही हैं जो डॉक्टर भी इस्तेमाल करते हैं.
डॉ शिवरंजिनि कहती हैं, ‘अगर सही समय पर सही प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया जाए तो छह में से एक मौत को रोका जा सकता है. हालांकि प्राथमिक चिकित्सा ज्ञान की कमी कभी-कभी मामलों को बदतर बना सकती है. इसलिए, अपनी निःशुल्क कार्यशालाओं के साथ मेरा लक्ष्य सिर्फ यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इन बुनियादी कौशलों को सीखें, बिना जरूरत होने वाली मौतों को रोकें और जीवन बचाने में मदद करें.’
डॉ. शिवरंजिनि ने फर्स्ट एड की फ्री ट्रेनिंग स्कूलों, कॉलेजों, आशा वर्कर्स को, महिलाओं को, सोसायटीज में, अस्पतालों सहित कई जगहों पर दी हैं. पुलिस कर्मचारियों से लेकर स्कूल बस ड्राइवरों, केयरटेकर्स, फिजिकल एजुकेशन टीसर्च, स्पोर्ट्स टीचर्स, सुरक्षा स्टाफ सहित अलग-अलग सामाजिक समुदायों लोगों को ये लाइफ सेविंग टेक्नीक सिखा चुकी हैं. इनसे सीखने के बाद सैकड़ों लोग इन्हें आजमा चुके हैं और लोगों की जान बचा चुके हैं.
कैसे शुरू हुआ ये सफर
बहुत सारी महिलाएं डॉ. शिवरंजनि से सीखने के बाद सीपीआर सहित कई लाइफ सेविंग स्किल्स से सैकड़ों लोगों की जान बचा चुकी हैं.
News18 हिंदी से बातचीत में डॉ. शिवरंजिनि बताती हैं कि वे शुरू से ही डॉक्टर बनना चाहती थीं क्योंकि यह उन्हें विरासत में भी मिला था. उनके घर में सभी डॉक्टर ही थे. हालांकि बच्चों से प्यार की वजह से वे बच्चों की डॉक्टर बनना चाहती थीं और इसके लिए पढ़ना शुरू कर दिया. जब वह पोस्ट ग्रेजुएशन में थीं और कुछ खा रही थीं तो अचानक वह उनके गले में अटक गया. उनकी हालत खराब होते देख उनके इंटर्न ने लाइफ सेविंग टेक्नीक हेमलिच (पेट पर जोर देकर) उनकी जान बचा ली. उस दिन उन्हें लगा कि अगर उनके इंटर्न को ये तकनीक नहीं आई होती तो वे जिंदा नहीं होतीं. बस तभी से उन्होंने ठान लिया कि लोगों को इन जीवन बचाने वाली तकनीकों को सिखाना है.
बहुत आईं मुश्किल लेकिन अब…
डॉ. शिवरंजनी बताती हैं कि लोगों को फ्री फर्स्ट एड वर्कशॉप्स में आने के लिए तैयार करना काफी चुनौती भरा होता था. वे वर्कशॉप में लोगों का इंतजार कर रही होती थीं लेकिन आज पेरेंट्स खुद ही इस तरह की ट्रेनिंग स्कूलों में बच्चों को दिलवाने की भी मांग करते हैं. आज वे न केवल फिजिकली बल्कि यूट्यूब चैनल, व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से भी लोगों को ये सब सिखा रही हैं. जल्द ही पुणे के जनजातीय इलाकों में भी डॉ. शिवरंजनि संतोष जनजातीय समुदाय के लोगों को जान बचाने वाले स्किल्स सिखाएंगी.
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Tags: Doctor, Health News, Hyderabad
FIRST PUBLISHED : February 17, 2024, 21:51 IST