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बुद्धि से ही होता है नई रचनाओं का जन्म | workshop

workshop-बौद्धिक संपदा अधिकार का महत्व बताने के उद्देश्य से सेंट विल्फ्रेड पीजी कॉलेज ने एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।

जयपुर

Updated: January 08, 2022 08:27:15 pm

बौद्धिक संपदा अधिकार पर कार्यशाला आयोजित
जयपुर। मनुष्य अपनी बुद्धि से कई तरह के आविष्कार और नई रचनाओं को जन्म देता है। उन विशेष आविष्कारों पर उसका पूरा अधिकार है लेकिन उसके इस अधिकार का संरक्षण हमेशा से चिंता का विषय रहा है। बौद्धिक संपदा अधिकार का महत्व बताने के उद्देश्य से सेंट विल्फ्रेड पीजी कॉलेज ने एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस दौरान भारत सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के पेटेंट और डिजाइन के सहायक नियंत्रक डॉ. जितेंद्र शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यशाला का संचालन डॉ. अनुपम जैन ने किया। कार्यशाला की शुरुआत में प्रतिभागियों का स्वागत किया गया। इस दौरान कॉलेज की प्राचार्या डॉ. फरीदा हसनी मौजूद रहीं। वर्कशॉप में आइपीआर- योजनाओं, एमएसएमई, स्टार्टअप्स, पेटेंट-फाइलिंग, डिजाइन सोच और आईपीआर एंटरप्रेन्योरशिप की प्रासंगिकता प्रपत्र और पंजीकरण के बारे में जानकारी दी गई।
मिली आइपीआर का पंजीकरण की जानकारी
वर्कशॉप के मुख्य वक्ता वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में पेटेंट और डिजाइन के सहायक नियंत्रक डॉ. जितेंद्र शर्मा ने प्रासंगिकता और आइपीआर का पंजीकरण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आइपी की जानकारी के साथ-साथ उसकी डिजाइनिंग भी बहुत महत्वपूर्ण है, जैसे कि आकार, विन्यास, पैटर्न, आभूषण या लाइनों या रंगों की रचना किसी भी लेख पर लागू होती है। चाहे वह दो आयामी या तीन आयामी या दोनों रूपों में हो। आइपीआर की महत्वता बताते हुए कहा कि आज के समय में अपने आइडियाज, थॉट्स को संरक्षण करने का महत्वपूर्ण जरिया है।
इस मौके पर संस्था के मानद सचिव डॉ. केशव बड़ाया ने कहा कि यदि हम मौलिक रूप से कोई रचना करते हैं और इस रचना का किसी अन्य व्यक्ति द्वारा गैर कानूनी तरीके से अपने लाभ के लिये प्रयोग किया जाता है तो यह रचनाकार के अधिकारों का स्पष्ट हनन है। प्रौद्योगिकी के युग में बौद्धिक संपदा की बढ़ती प्रासंगिकता के साथ, बौद्धिक संपदा से संबंधित प्रणालियों की भूमिका अहम हो गई है इसलिए हम सभी को इसकी भूमिका को समझना होगा।

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