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बॉलीवुड की सुपरस्टार, 2 बार रचाई शादी, नसीब नहीं हुई मोहब्बत, करोड़ों की हैं मालिकिन, लेकिन पहनती हैं उधार के कपड़े

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बॉलीवुड की मशहूर फिल्म ‘मुगल-ऐ-आजम’ (Mughal-E-Azam 1960) का स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स अमानुल्लाह खान ने ही लिखे थे. जीनत अमान की मां वर्धनी सिंधिया एक हिंदू महिला थीं. जीनत अमान ने साल 1970 में मिस एशिया पेसिफिक का टाइटल जीतकर फिल्मों का रास्ता आसान कर लिया. देव आनंद इन दिनों अपनी फिल्म ‘हरेराम हरेकृष्णा’ के लिए हीरोइन ढूंढ रहे थे और उन्होंने जीनत को इस किरदार में कास्ट कर लिया. फिल्म सुपरहिट रही और जीनत का करियर आसमान छूने लगा. इसके बाद जीनत ने ‘अजनबी’ (Ajnabee (1974), ‘रोटी कपड़ा और मकान'(Roti Kapada Aur Makaan (1974), ‘यादों की बारात’ (Yaadon Ki Barat 1973), डॉन (Don 1978), ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ (Satyam Shivam Sundaram 1977) जैसी फिल्में कर 1 दशक में ही सुपरस्टार का तमगा हासिल कर लिया. सुपरस्टार बनने के बाद भी जीनत अमान ने बॉलीवुड में कई रूढ़िवादी सोच को झकझोर कर रख दिया. जीनत ने 80 के दशक में एक नया ट्रेंड शुरू किया, जिसमें उन्होंने फैसला लिया कि वे केवल न्यूकमर्स मेल एक्टर्स के साथ ही काम करेंगी. इसके बाद ‘इंसाफ का तराजू’ (Insaf Ka Tarazu 1980) में बिल्कुल नए एक्टर राज बब्बर को अपने साथ काम करने का मौका दिया. इसी फिल्म से राज बब्बर स्टार बन गए. (फोटो साभार-Instagram@thezeenataman)

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