Health

दिल्‍ली के अस्‍पताल में ‘गाजर का हलवा, कोदो उपमा, सोंठ के लड्डू’ खा रहे मरीज, यकीन नहीं होता न!

हाइलाइट्स

दिल्‍ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्‍थान अस्‍पताल में पथ्‍याहार कैंटीन शुरू की गई है.
मरीजों सहित अस्‍पताल स्‍टाफ और सभी को मिलेट्स से बना विशेष खाना दिया जा रहा है.
यहां पोंगल खिचड़ा, रागी बटरमिल्‍क, लौकी की बर्फी, गाजर का हलवा आदि खाना दिया जा रहा है.

नई दिल्‍ली. अगर आपसे कोई कहे कि दिल्‍ली के सरकारी अस्‍पताल में मरीजों को गाजर का हलवा, तिल के लड्डू, मिलेट्स से बना उपमा, चीला आदि रोजाना खिलाया जा रहा है तो शायद आपको भी यकीन न हो क्‍योंकि दिल्‍ली के सरकारी अस्‍पतालों का नाम आते ही सबसे पहले दर्द से कराहते मरीजों की भीड़, इलाज के लिए भागदौड़ करते परिजन और अव्‍यवस्‍था ही आंखों के सामने आती हैं लेकिन राजधानी का एक अस्‍पताल ऐसा भी है जो न केवल अस्‍पताल में बेहतर इलाज मुहैया करा रहा है बल्कि मरीजों और अस्‍पताल में काम कर रहे पूरे स्‍टाफ को पोषण और स्‍वाद से भरपूर खाना भी खिला रहा है. दिल्‍ली का यह सरकारी अस्‍पताल है अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्‍थान (AIIA). इस अस्‍पताल में मरीजों को नियमित पथ्‍याहार यानि खाने में कोदो उपमा (Kodo Upma), बेसन चिल्ला, रागी बटरमिल्क (Ragi Buttermilk), वेजिटेबल सूप, गाजर का हलवा (Gajar ka Halwa), सोठियादि यानि सोंठ के लड्डू (Saunth ke Laddu) , लौकी की बर्फी (Lauki ki Barfi), तिल के लड्डू (Til ke laddu), जौ का दलिया, पोंगल खिचड़ा (Pongal Khichada) और बाजरे का खिचड़ा खिलाए जा रहे हैं.

आयुर्वेदिक चिकित्‍सा के सबसे बड़े इस संस्थान ने हाल ही में नए साल 2023 डब्‍ल्‍यूएचओ की इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स को बढ़ावा देने की पहल को बढ़ावा देते हुए अस्‍पताल की कैंटीन में ‘पथ्याहार’ शुरू किया है. इस दौरान आम गेंहू, चावल से बना खाना नहीं बल्कि 9 प्रकार के मोटे अनाज जैसे बाजरा, रागी, कोदो, समा, ज्‍वार, जौ आदि से बने अलग-अलग व्‍यंजन, फल और सब्जियों से बने जूस, सूप, और मिठाइयां बनाई जा रही हैं.

न्‍यूज18हिंदी से बातचीत करते हुए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्‍थान में स्वास्थ्यवृत्ता विभाग में प्रोफेसर मेधा कुलकर्णी कहती हैं, ‘आजकल हम देखते हैं कि लोगों के खानपान में ज्‍यादा से ज्‍यादा गेहूं और चावल ही इस्‍तेमाल हो रहे हैं. कभी-कभी ओट्स आदि भी खा लेते हैं लेकिन आज से कुछ समय पहले गांव से लेकर शहरों तक में खाए जाने वाले मोटे अनाज या मिलेट्स आज खाने की थाली से गायब से हो गए हैं, जबकि ये स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सबसे ज्‍यादा फायदेमंद हैं. मिलेट-बेस्ड या मोटे अनाज से बने व्यंजन प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं. ये दिल की बीमारी, बढ़ता कॉलेस्‍ट्रॉल, डायबिटीज (Diabetes) और बीपी जैसी बीमारियों को दूर रखने में बेहद कारगर हैं. इतना ही नहीं ये स्‍वाद से भी भरपूर होते हैं. इनका उपयोग रोजाना की डाइट में किया जाना स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍वाद दोनों के लिए जरूरी है.’

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कोविड के दौरान किया था प्रयोग, अब शुरू हुई कैंटीन
प्रोफेसर मेधा बताती हैं कि मिलेट्स सिर्फ भारत में ही नहीं उगाए जाते, बल्कि विश्‍व भर में उगाए जाते हैं लेकिन हमारे भारत में पैदा होने वाले मिलेट्स (Millets) का उपयोग और प्रचार जरूरी है. इसी को ध्‍यान में रखते हुए एआईआईए में कोविड के बाद से ही पथ्‍याहार शामिल किया है. सांस की बीमारी के मरीजों को हमने तय पथ्‍याहार दिया. आयुर्वेद कहता है कि दवा के साथ खान-पान बेहतर होना जरूरी है. ऐसे में कोविड के बाद अब अस्‍पताल के सभी मरीजों और सभी स्टाफ और अन्‍य लोगों के लिए मिलेट बेस्‍ट पोषणयुक्‍त और स्‍वादिष्‍ट खाना देने का फैसला किया गया है.

आयुर्वेद की इस पहल से किसानों को भी होगा फायदा
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्‍थान की निदेशक डॉ. तनुजा नेसारी के द्वारा शुरू किए गए पथ्‍याहार को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने भी गांव-गांव तक प्रमोट करने की बात कही है. पथ्‍याहार कैंटीन शुरू करने के दौरान मौजूद रहे मंत्री ने कहा कि आयुर्वेद की पंचकर्मा पद्धति से ग्रामीणों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. यह एक सराहनीय पहल है. उनका मंत्रालय जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आयुर्वेद में प्रयोग की जाने वाली पंचकर्मा पद्धति के लिए प्रशिक्षित करेगा ताकि आयुर्वेद से ग्रामीण रोज़गार के अवसर उपलब्ध हों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हील इन इंडिया’ पहल के अंतर्गत आयुर्वेद के लाभ जनमानस तक पहुंच सके.

Tags: Ayurveda Doctors, Ayurvedic, Food, PM Modi

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