भाई-बहनों ने 20 साल में तैयार किया, 500 साल का इतिहास, संगीत की ऐसी शैली जिसने लगा दी पुरस्कारों की झड़ी

अंकित राजपूत/जयपुर. राजस्थान अपनी कला संस्कृति और ऐतिहासिक इतिहास के रूप में दुनियाभर में जाना जाता है. ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो अपने पूर्वजों के इतिहास को बरसों से संभाल कर रखे हुए हैं. ऐसा ही है शानदार संगीत के ध्रुवपद क्षेत्र के डागर घराने का अनोखा इतिहास जिसे वर्षों बाद भी दो भाई-बहनों ने आज तक संजोकर रखा है.
आज भी जयपुर के रविन्द्र मंच में दूसरी मंजिल भवन में डागर घराने के 500 साल के इतिहास को आज भी देखा जा सकता है. जिसे डागर घराने की 20वीं पीढ़ी की बेटी सबाना डागर और उनके भाई इमरान डागर ने डागर घराने के इतिहास का एक बेहतरीन पुरालेख जो संजोकर रखा है. जिसमें डागर घराने के संगीत रत्नाकर और पद्म भूषण उस्ताद अल्लाबंदे रहीमुद्दीन खान डागर सहित सभी डागर घराने के ध्रुवपद संगीत के सितारों का इतिहास मौजूद हैं. जिसमें उनके वाद्ययंत्र से लेकर उनकी एंटीक चीजें, किताबें, पुरस्कार आदि शामिल हैं.
डागर परिवार के अनमोल इतिहास के झरोखे
देशभर में ध्रुवपद संगीत के क्षेत्र में कई फेमस घराने थे. जिनमे डागर घराना खूब फेमस रहा अब इस घराने की 20वीं की शबाना डागर बताती हैं कि डागर घराने का इतिहास राजा महाराजाओं के समय से चला आ रहा है. राजस्थान के अलग-अलग राज घराने जिनमें विशेष रूप से उदयपुर, अलवर और जयपुर के घराने में अपनी ध्रुवपद संगीत की कला से कई साल तक चमक बिखेरी और डागर परिवार में पद्मभूषण, पद्मश्री जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित रहे हैं. जिसमें उस्ताद रहीम उद्दीन डागर, फई उद्दीन डागर, अमीन उद्दीन डागर साहब सहित तमाम डागर घराने से जुड़े लोगों ने एक ही संगीत की शैली में 500 साल का अद्भुत योगदान दिया और दुनियाभर में डागर घराने की अलग पहचान बनाई. आज हम भाई बहन भी 20 साल से अपने पूर्वजों के इतिहास को संजोकर रखते आ रहे हैं. इसलिए हमने उनके लिए इस डागर आर्काइव की स्थापना की जिसे संगीत में रूचि रखने वाले लोग दूर-दूर से आते हैं.
सभी कीमती चीजें 500 साल पुरानी
डागर घराने के इतिहास को संजोकर रखने वाले इमरान डागर बताते हैं कि यहां 500 साल से डागर घराने की सभी बेशकीमती वस्तुओं का संग्रह रखा हुआ है. जो देखने लायक है जिसमें 200 साल पुरानी तानपुरा जैसी तमाम चीजें मौजूद हैं. इमरान डागर बताते हैं कि आने वाली पीढ़ी के लिए हमने इस आर्काइव को तैयार किया है. जिसमें 20 साल का समय लगा. आज जो भी ध्रुवपद संगीत में रूचि रखते हैं उनके लिए यह आर्काइव सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. जहां लोग अगर ध्रुवपद संगीत को सीखना चाहते हैं तो हम उन्हें ध्रुवपद के लिए विशेष जगहों की जानकारी देते हैं. साथ ही अगर कोई छात्र-छात्राएं ध्रुवपद संगीत में PHD करना चाहे तो हम उनकी पूरी मदद करते हैं. हालांकि, दो छात्राओं ने ध्रुवपद संगीत में PHD की हैं जिनकी हमने ध्रुवपद के इतिहास और संगीत में जानकारी के लिए मदद भी की थी और डागर आर्काइव हमारे ध्रुवपद प्रेमियों के लिए खुला है.
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FIRST PUBLISHED : January 7, 2024, 22:43 IST