मिशिगन मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (MMPA)से समझौता
अमूल का संचालन करने वाले Gujarat Cooperative Milk Marketing Federation (GCMMF) के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ( Jayen Mehta) ने बताया कि अमूल ने अमरीका में 108 साल पुराने डेयरी सहकारी – मिशिगन मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (Michigan Milk Producers Association) के साथ समझौता किया है, और डेट्रॉइट (Detroit) में उनकी वार्षिक बैठक में यह घोषणा की गई।
भारत के बाहर पहली बार
मेहता ने बताया, “यह पहली बार है कि अमूल ताजा उत्पादों की रेंज भारत के बाहर और संयुक्त राज्य अमरीका जैसे बाजार में लॉन्च की जाएगी, जहां बहुत मजबूत भारतीय और एशियाई प्रवासी हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अमूल को ब्रॉंड का विस्तार करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हाल ही में स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लेने के दौरान दिए गए दृष्टिकोण के अनुरूप सबसे बड़ी डेयरी कंपनी बनने की उम्मीद है।
एक पौधा एक विशाल पेड़ बना
उललेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi )ने स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि 50 साल पहले गुजरात के किसानों की ओर से लगाया गया एक पौधा एक विशाल पेड़ बन गया है। अमूल की उद्यमशीलता की भावना ने इसे दुनिया के सबसे मजबूत डेयरी ब्रांडों में से एक बना दिया है।
दुनिया भर के 50 से अधिक देशों में निर्यात
जानकारी के अनुसार अमूल उत्पाद दुनिया भर के 50 से अधिक देशों में निर्यात किए जाते हैं। इसके अंतर्गत 18,000 दुग्ध सहकारी समितियाँ, 36,000 किसानों का एक नेटवर्क है, जो प्रतिदिन 3.5 करोड़ लीटर से अधिक दूध का प्रसंस्करण करता है। भारत में डेयरी क्षेत्र का विकास और ऑपरेशन फ्लड के लॉन्च के बाद से डेयरी सहकारी समितियों की ओर से निभाई गई शानदार भूमिका देश की विकास कहानी का एक अभिन्न अंग है, क्योंकि देश अब दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है। वैश्विक दुग्ध उत्पादन में भारत का योगदान लगभग 21 प्रतिशत है।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 1950 और 1960 के दशक के दौरान भारत के डेयरी क्षेत्र की स्थिति बिल्कुल अलग थी। क्योंकि यह दूध की कमी वाला देश था और आयात पर अधिक निर्भर था। सन 1964 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की गुजरात के आनंद जिले की यात्रा के बाद, 1965 में देश भर में डेयरी सहकारी समितियों के ‘आनंद पैटर्न’ के निर्माण का समर्थन करने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) बनाया गया था। जिसे ऑपरेशन फ्लड (ओएफ) कार्यक्रम के माध्यम से चरणों में लागू किया जाना था।
वर्गीस कुरियन का सपना था
भारत में “श्वेत क्रांति के जनक” के रूप में प्रसिद्ध वर्गीस कुरियन (Verghese Kurien) एनडीडीबी के पहले अध्यक्ष थे। अपनी टीम के साथ, कुरियन ने उस परियोजना के शुभारंभ पर काम शुरू किया, जिसमें देश भर के दूध शेडों में आनंद-पैटर्न सहकारी समितियों के संगठन की परिकल्पना की गई थी कि जहां से दूध सहकारी समितियों की ओर से उत्पादित और खरीदे गए तरल दूध को शहरों में पहुंचाया जाएगा।