भारत भ्रमण कर Jaipur पहुंची श्रीश्याम ज्योत | GOVINDDEVJI TEMPLE JAIPUR SHREE SHYAM JYOTI YATRA

Jaipur देश भ्रमण कर जयपुर लौटी श्रीश्याम ज्योत यात्रा का गोविंददेवजी मंदिर पहुंचने पर आरती कर स्वागत किया गया। यहां गोविंददेवजी मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी सहित अन्य संत—महंतों ने श्याम प्रभु की आरती उतारी, वहीं Shree Shyam Jyoti Yatra में शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया गया। Govinddev Temple Jaipur श्याम प्रभु के जयकारे गुंजते रहे।
जयपुर
Published: January 07, 2022 06:09:37 pm
Jaipur देश भ्रमण कर जयपुर लौटी श्रीश्याम ज्योत यात्रा का गोविंददेवजी मंदिर पहुंचने पर आरती कर स्वागत किया गया। यहां गोविंददेवजी मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी सहित अन्य संत—महंतों ने श्याम प्रभु की आरती उतारी, वहीं Shree Shyam Jyot Yatra में शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत किया गया। Govinddev Temple Jaipur श्याम प्रभु के जयकारे गुंजते रहे।

भारत भ्रमण कर Jaipur पहुंची श्रीश्याम ज्योत
श्रीश्याम ज्योत यात्रा के सारथी श्याम भजन गायक कलाकार कुमार गिरिराज शरण की अगुवाई में संपूर्ण भारत का भ्रमण करने के बाद लगभग एक साल बाद यह यात्रा शुक्रवार को जयपुर लौटी। यात्रा के जयपुर पहुंचने पर शुक सम्प्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली शरण, प्रवीण बड़े भैया, घाट के बालाजी के महंत सुरेश कुमार, श्री दक्षिण मुखी बालाजी मंदिर हाथोज धाम के स्वामी बालमुकुंद आचार्य, गढ़गणेश धाम के महंत प्रदीप औदिच्य, गोविंददेवजी मंदिर में प्रवक्ता मानस गोस्वामी, विजयशंकर पांडे सहित कई संत—महंतों ने आरती कर स्वागत किया। इस दौरान गुलाबी नगर जयपुर की विभिन्न श्यामसेवी संस्थाओं, श्याम प्रेमियों व भजन गायकों ने भी यात्रा का स्वागत किया। यह यात्रा फागुन माह एकादशी से प्रारंभ हुई एवं संपूर्ण भारत का भ्रमण करते हुए जयपुर पहुंची।
गोविंददेवजी मंदिर से यह यात्रा रवाना होकर बड़ी चौपड़, छोटी चौपड़, चांदपोल बाजार, झोटवाड़ा रोड, पीतल फैक्ट्री, शास्त्रीनगर, विद्याधर नगर, अलका सिनेमा, रामेश्वरम मैरिज गार्डन, वीकेआई रोड नं 12, हरमाड़ा, सीकर रोड, चौमूं, गोविन्दगढ़, रींगस होते खाटू धाम पहुंची। यहां यात्रा का स्वागत किया गया।
फाल्गुन में रवाना हुई थी यह यात्रा
यह यात्रा भजन गायक व श्री श्याम कथा वाचक कुमार गिरिराज शरण गत 26 मार्च, 2021 फाल्गुन सुदी द्वादशी को खाटूनरेश के निज धाम से पावन अखंड ज्योत लेकर रवाना हुई थी, इसके बाद सम्पूर्ण भारतवर्ष की यात्रा करते हुए यह लालसोट से जयपुर पहुंची।
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