Health

भारत में जल्दी पहचान से 80% कैंसर का इलाज संभव, विशेषज्ञों का दावा

भारत में भले ही कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन विश्व कैंसर दिवस के मौके पर विशेषज्ञों ने बताया कि अगर कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में ही चल जाए तो उसका इलाज बहुत हद तक संभव है।

विश्व कैंसर दिवस हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है। इस साल की थीम ‘क्लोज द केयर गैप’ यानी इलाज में अंतर को खत्म करना है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार, देश में कैंसर के मामलों की संख्या 2022 में 14.6 लाख से बढ़कर 2025 में 15.7 लाख तक पहुंचने का अनुमान है।

दिल्ली के यूनिक हॉस्पिटल कैंसर सेंटर के मुख्य ऑन्कोलॉजिस्ट आशीष गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, “भारत में कैंसर को हराने के लिए पहला कदम लोगों को कैंसर की जांच करवाने के लिए शिक्षित करना है, भले ही उनमें कोई लक्षण न हों। इससे कैंसर का जल्दी पता लगाने में मदद मिलती है। अगर पहले चरण यानी स्टेज I या II में पता चल जाए तो 80 प्रतिशत से अधिक रोगियों में कैंसर का इलाज संभव है।”

उन्होंने आगे कहा, “जब तक लक्षण विकसित होते हैं, तब तक कई कैंसर स्टेज तीन या चार में होते हैं, जब इलाज की दर 25 प्रतिशत से भी कम हो जाती है। तीन आम कैंसर – मुंह, स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के लिए जनसंख्या-आधारित पहल अपनाई जानी चाहिए, जो भारत में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर हैं।”

कैंसर जागरूकता पर चलने वाले इस अभियान का लक्ष्य पूरे भारत में 10 लाख लोगों तक पहुंचना है।

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में हेमेटोलॉजी और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण के प्रमुख निदेशक राहुल भार्गव के अनुसार, मल्टी-कैंसर अर्ली डिटेक्शन (MCED) टेस्ट – एक प्रकार का लिक्विड बायोप्सी – लक्षण दिखने से पहले ही कैंसर कोशिकाओं को पकड़ने में मदद कर सकता है।

भार्गव ने आईएएनएस को बताया, “मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके, ये परीक्षण डीएनए और प्रोटीन प्रोफाइल के आधार पर ट्यूमर की संभावित उत्पत्ति की पहचान करते हैं। MCED परीक्षण कैंसर का पता लगाने में क्रांति लाने का वादा करते हैं।”

बीमारी का पहले पता लगाने से महंगे इलाज की जरूरत भी कम हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों और रोगियों दोनों को लाभ होता है।

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नई दिल्ली में विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट विनीत नाकरा ने आईएएनएस को बताया, “अधिकांश कैंसर कम लक्षण दिखाकर घातक हो जाते हैं, जिससे इलाज के लिए बहुत देर हो जाती है। डिम्बग्रंथि और गैस्ट्रोसोफेगेल कैंसर इस धूर्त बीमारी के बढ़ने के सबसे कुख्यात उदाहरणों में से हैं, जिससे अक्सर देर से पता चलता है।”

विशेषज्ञों ने आगे कहा कि कैंसर का पता चलने के बाद पहले दिन से ही सही इलाज योजना शुरू करना सबसे महत्वपूर्ण है। आधुनिक दवाओं ने नैदानिक परिणामों को काफी हद तक सुधारने में मदद की है।

डॉक्टर गुप्ता के अनुसार, “पहले कैंसर का इलाज मुख्य रूप से कीमोथेरेपी पर ही निर्भर करता था। मगर अब सिर्फ कीमो ही नहीं, बल्कि इम्यूनोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी और हार्मोनल थेरेपी जैसे कई नए इलाज उपलब्ध हैं। ये इलाज 5-10 साल पहले तक मौजूद नहीं थे और इनकी वजह से कैंसर के इलाज की दर में बहुत तेजी से सुधार हुआ है।”

(आईएएनएस)

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj