मजदूर की बेटी बनी दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल, 12 किलोमीटर पैदल जाती थी पढ़ने, लोग मारते थे ताना

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. रेत का दरिया कहे जाने वाले पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर में कुछ साल पहले बालिका शिक्षा का आंकड़ा बेहद चिंतनीय था. जो पिता खासतौर पर ग्रामीण इलाके से अपनी बेटी को शहर पढ़ने भेजते थे तो आसपास के लोग उसे इतने ताने देते थे जिसकी गिनती तक मुश्किल होती थी.
बाड़मेर जिले के छोटे से गांव रामसर का कुआं के दिहाड़ी मजदूर राउराम के साथ भी ऐसा ही हुआ है. बेटी को कॉलेजी तालीम दिलाने का सपना लोगो के तानों के बीच पूरा हुआ और उनकी बेटी अणसी ने दिल्ली पुलिस में चयनित होकर तमाम लोगों के मुंह बंद करवा दी है. बेटी के दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल पद पर चयन होने के बाद दिहाड़ी मजदूर राउराम के घर के आंगन में खुशी दौड़ आई.
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12 किमी. दूर पढ़ने जाती थी अणसी
कल तक जो ताने दे रहे थे वह भी अब बधाइयां देने पहुंच रहे है. अणसी की शुरुआत की पढ़ाई उसके गांव में हुई और 9वीं से 12वीं तक पढ़ने के लिए वह 12 किलोमीटर पैदल स्कूल जाती थी. कॉलेजी तालीम के दौरान एनसीसी लेने के बाद उसका वर्दी पहला और आखिरी लक्ष्य बन गया. भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना में एक बार असफलता मिलने के बाद भी अणसी टूटी नही.
मामा को वर्दी पहने देख पुलिस बनने का बनाया मन
उसने दोगुनी हिम्मत से दिल्ली पुलिस की परीक्षा दी और तमाम पायदानों को पार कर वर्दी हासिल कर ही दी है. अणसी की मां बाली देवी बताती है कि उन्होंने अपनी बेटी को कभी घर का काम करने नही दिया. अणसी बताती है कि बचपन मे खाकी पहनने का सपना था. वह कहती है कि उसके मामा दुर्गाराम पुलिस में है उन्हीं से ही प्रेरणा लेकर दिल्ली पुलिस में जाने का सपना संजोया था.
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FIRST PUBLISHED : January 29, 2024, 11:04 IST