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नई दिल्‍ली. कोरोना के आने के बाद से फेस मास्‍क (Face Mask) का सबसे ज्‍यादा उपयोग किया गया है लेकिन अब आईआईटी दिल्‍ली (IIT Delhi) ने मास्‍क से भी एक कदम आगे बढ़कर ऐसा एयर प्‍यूरीफायर (Air Purifier) लांच किया है जो बेहद ही छोटा है. इसे सीधे नाक में लगाया जा सकता है और इसके बाद शुद्ध सांस लेने के साथ ही कोरोना जैसे वायरस से भी बचा जा सकता है. आईआईटी दिल्ली के स्टार्ट-अप नैनोक्लीन ने आज नासो-95 (Naso-95) लांच किया है. खास बात है कि यह दुनिया का सबसे छोटा वियरेबल एयर प्यूरीफायर (Wearable Air Purifier) है.

आईआईटी दिल्ली के स्टार्ट-अप नैनोक्लीन ग्लोबल की ओर से बनाया गया यह वियरेबल एयर प्यूरीफायर, एन95 (N-95 mask) ग्रेड फेस मास्क के जितना प्रभावी है. आईआईटी दिल्ली में डॉक्टरों एवं सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में इसे लॉन्च किया गया है. नासो 95, एन95 ग्रेड का नेजल फिल्टर (Nasal Filter) है. यह यूज़र के नाक में चिपक जाता है और बैक्टीरिया, वायरस, पराग एवं वायु प्रदूषण (Air Pollution) को भीतर जाने से रोकता है. कोरोना जैसे वायरस पर भी यह एन-95 ग्रेड फेस मास्क जैसा ही कारगर है.

दिल्‍ली आईआईटी के इस एयर प्‍यूरीफायर को 5 साल से ऊपर के बच्‍चे भी लगा सकते हैं.

दिल्‍ली आईआईटी के इस एयर प्‍यूरीफायर को 5 साल से ऊपर के बच्‍चे भी लगा सकते हैं.

नैनीक्‍लोन की ओर से बताया गया कि नासो95 का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति जेनेरिक फेसमास्क या ढीली फिटिंग वाले फेस मास्क की तुलना में अधिक सुरक्षित रहता है. राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं इस प्रोडक्ट की सुरक्षा और प्रभाविता की जांच कर इसे प्रमाणित किया गया है. यह प्रोडक्ट अलग-अलग साइज़- स्मॉल, मीडियम, लार्ज और किड्स साइज़ में भी उपलब्‍ध रहेगा.

नासो-95 की लांचिंग के मौके पर मौजूद दिल्‍ली एम्‍स के पूर्व निदेशक, डॉ एम सी मिश्रा ने कहा कि वायु प्रदूषण आज वायरस से भी बड़ी समस्या है. फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer) आज आम हो गया है. ऐसे में नासो 95 जैसे प्रोडक्ट महानगरों में सांस की बीमारियों और इन समस्याओं से लड़ने में बेहद कारगर हो सकते हैं. महामारी के दौरान यह प्रोडक्ट और भी उपयोगी हो सकता है. खासतौर पर जब आपको हवाई अड्डे, सुरक्षा जांच आदि पर पहचान के लिए अपना मास्क हटाना पड़ता है.

वहीं भारत सरकार के तकनीक विकास बोर्ड के सचिव राजेश कुमार पाठक ने बताया कि उन्‍होंने भी नासो 95 का उपयोग किया. यह इस्तेमाल में बेहद आसान और आरामदायक है. यह प्रोडक्ट समाज के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है और सभी आयु वर्गों के लोग इसका उपयोग कर सकते हैं. साथ ही तकनीक विकास बोर्ड भी इस प्रोडक्ट को आम जनता तक पहुंचाने के लिए स्टार्ट-अप को पूरा सहयोग देगा.

प्रतीक शर्मा, सीईओ, डायरेक्टर, नैनोक्लीन ग्लोबल ने कहा कि महामारी के पिछले दो सालों के दौरान दुनिया भर में लोगों का व्यवहार बदल गया है. हालांकि अक्सर देखा जाता है कि लोग जाने-अनजाने में अपना मास्क नीचे कर लेते हैं. नाक से ACE2, TMPRSS2 जैसे इन्फेक्शन आसानी से भीतर चले जाते हैं लेकिन फेस मास्क के विपरीत नासो 95 के इस्तेमाल से लोगों को असहजता नहीं होगी. यह विश्वस्तरीय समस्या के लिए सुविधाजनक विकल्प है. वहीं इस दौरान मौजूद डॉ अनिल वाली, एमडी, एफआईटीटी आईआईटी दिल्ली, डॉ विमल के सिंह नियोनेटोलोजिस्ट, एमबीबीएस, मौलाना आज़ाद, आशुतोष पास्टर, एफआईटीटी आईआईटी दिल्ली ने भी नासो 95 को बेहतर बताया.

बच्‍चों के लिए भी फायदेमंद, हर छठा बच्‍चा अस्‍थमा से पीड़‍ित
इस दौरान बताया गया कि आज भारत में हर छठा बच्चा अस्थमा या सांस की बीमारी से पीड़ित है. ऐसा इसलिए होता है कि बच्चों के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते हैं. इससे उनके हवा से होने वाले इन्फेक्शन की संभावना अधिक होती है. हालांकि इस वियरेबल एयर प्‍यूरीफायर को 5 साल का बच्चा भी आराम से पहन सकता है. इसका इस्तेमाल करने के दौरान किसी तरह की असहजता नहीं होती.

Tags: Air pollution, Corona Pandemic, IIT, Mask

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