Rajasthan

यहां है पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत का मंदिर, लोग भगवान की तरह करते हैं उनकी पूजा

राहुल मनोहर/ सीकर. जिले के परिपेक्ष में पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत का नाम बड़े अदब से लिया जाता है. पूर्व उपराष्ट्रपति बाबोसा अपने पैतृक गांव से बहुत प्रेम करते थे. उन्होंने भारत के उपराष्ट्रपति पद को सुशोभित करने के बाद भी अपने गांव को नहीं छोड़ा. इसी प्रेम के कारण ग्रामीण आज उनकी पूजा करते हैं. बाबोसा के प्रति प्रेम के कारण गांव में ही उनका एक मंदिर बनाया गया है. गांव में सामूहिक रूप से जब भी कोई शुभ कार्य होता है तो सबसे पहला निमंत्रण पत्र बाबोसा के मंदिर में रखा जाता है.

सीकर जिले का खाचरियावास गांव पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत का पैतृक गांव है. बाबोसा ने इसी गांव में जन्म लिया और बड़े हुए. बाबोसा की राजनीतिक शुरुआत भी इसी गांव से मानी जाती है. उन्होंने पहला चुनाव जनसंघ पार्टी की टिकट से इसी गांव में रहकर लड़ा था. चुनाव के समय ग्रामीणों ने बाबोसा का सहयोग किया, इस कारण वे दांतारामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक बने थे.

पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत का मंदिर
बाबोसा का मंदिर उनके पैतृक गांव खाचरियावास में मौजूद है. इस मंदिर की देखरेख योगी समाज के लोग करते हैं. मंदिर पुजारी ने बताया कि बाबोसा की पत्नी स्वर्गीय सूरज कंवर ने भगवान शिव का मंदिर बनवाया था. बाबोसा की भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था थी. वे इसी मंदिर में आकर पूजा करते थे. बाबोसा के स्वर्गवास के बाद ग्रामीणों ने इसी शिव मंदिर का जीर्णोद्धार करवा कर 2005 में उनका मंदिर बनवाया. इस मंदिर में उनकी पत्नी स्वर्गीय सूरज कंवर, पिता देवी सिंह व माता बन्ने कंवर की भी मूर्तियां लगाई हुई है. प्रतिवर्ष बाबोसा के जन्मदिवस पर इसी मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद गांव में कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.

ग्रामीणों का मानना है कि इस गांव में जो कुछ भी है वह बाबोसा की वजह से है. बाबोसा कभी उनके गांव के साथ कभी गलत नहीं होने देंगे. उन्होंने गांव के विकास के लिए अनेक कार्य किए हैं. उनके कारण खाचरियावास गांव संपूर्ण भारत में पहचाना जाता है. इस कारण गांव में जब भी कोई सामूहिक रूप से शुभ कार्य होता है तो सबसे पहला आमंत्रण कार्ड बाबोसा के मंदिर में रखा जाता है. यहां पूजा अर्चना के बाद ग्रामीण सामूहिक तौर पर वह शुभ कार्य करते हैं.

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FIRST PUBLISHED : July 27, 2023, 16:33 IST

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