यूपी की योगी सरकार की वजह से हजारों लोगों को मौत के बाद भी नहीं मिल पा रही है मुक्ति Rajasthan News-Jaipur News-bones immersion Not getting due to ups Yogi Government

जयपुर. प्रदेश में कोरोना और अन्य कारणों से अपनी जान गंवाने वाले लोगों की अस्थियां गंगा में विसर्जित (Bones immersion) होने का इंतजार कर रही है. इन अस्थि कलश की संख्या एक-दो नहीं बल्कि हजारों में पहुंच गई है. इसका कारण है उतरप्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government). इन मृत व्यक्तियों की मुक्ति के आड़े आ रही है उत्तरप्रदेश की योगी सरकार.
योगी सरकार ने प्रदेश की रोडवेज बसों की एंट्री यूपी में बैन कर रखी है. इसके चलते बसें हरिद्वार नहीं जा पा रही हैं. जबकि हरिद्वार में अस्थि विसर्जन पर उत्तराखंड सरकार की तरफ से कोई रोक नहीं है. लेकिन हरिद्वार जाने के लिए यूपी होकर जाना पड़ता है. ऐसे में बसें संचालित नहीं हो पा रही हैं.
शमशान घाट के लॉकर अस्थियों से अटे पड़े हैं
वहीं दूसरी और पूर्वी राजस्थान के लोग हरिद्वार की जगह यूपी के सौरोंजी में अस्थियां विसर्जित करते हैं. लेकिन वहां भी रोडवेज बसों के जाने की अनुमति नहीं है. जबकि दूसरी और निजी वाहनों पर किसी तरह की रोक टोक नहीं है. लेकिन इस कोरोना काल में पर्सनल टैक्सी करके अस्थि विसर्जन करना सब के लिए सम्भव नहीं है. हालात यह हो गए हैं कि शमशान घाट के लॉकर अस्थियों से अटे पड़े हैं. यहां तक कि लॉकर्स के ऊपर भी अस्थि कलशों का ढेर लग गया है.मोक्ष कलश बस के लिए 5 हजार रजिस्ट्रेशन
कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रदेश में जब लॉकडाउन लगा था और सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह से बंद था उस समय गहलोत सरकार ने उत्तराखंड के हरिद्वार और यूपी के सौरोंजी के लिए निशुल्क मोक्ष कलश बसों का संचालन शुरू किया था. उस समय हजारों लोगों ने इस सेवा के जरिए अपनों की अस्थियां गंगा में विसर्जित की थी. यह योजना अभी भी प्रदेश में लागू है. लेकिन अब उतरप्रदेश सरकार की वजह बसें हरिद्वार तक संचालित नहीं हो पा रही है. अकेले रोडवेज पोर्टल पर ही मोक्ष कलश बस के लिए 5 हजार से ज्यादा लोग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. वहीं 7 मई के बाद से प्रदेश में अब तक मरने वालों का आंकड़ा कहीं ज्यादा है।
आंकड़ों पर एक नजर
– 7 मई से यूपी में रोडवेज बसों की एंट्री बैन है.
– 7 मई से आज तक कोरोना से प्रदेश में हो 3660 मौतें चुकी है.
– कोरोना के अलावा एसएमएस अस्पताल में प्रतिदिन करीब 35 मौतें हो जाती है.
– ऐसे में पिछले 40 दिनों में अकेले एसएमएस में 1400 मौतें हुई.
– वहीं राजधानी के अन्य अस्पतालों और अन्य जिलों में करीब 9 हजार मौतें हुई.
– ऐसे में करीब 15 हजार लोगों की अस्थियां विसर्जन का इंतजार कर रही हैं.
मुक्ति के लिए विसर्जन जरूरी
कहते हैं मरने के बाद जिस तरह से मृत शरीर का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होना जरूरी है उसी तरह उसकी अस्थियों का विसर्जन होना भी जरूरी है. ज्योतिषचार्य पंडित परुषोत्तम गौड़ का बताते है कि सनातन धर्म में अस्थि विसर्जन का विशेष महत्व है. वेदों में कहा गया है कि जब गंगा में अस्थि विसर्जन होता है तभी आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है. गंगा का उद्गम भगवान शिव की जटाओं से हुआ था और गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. इसलिए जल,अग्नि और वायु से बने शरीर की राख को गंगा में प्रवाहित करने पर ही उसे शांति मिलती है और आत्मा को मुक्ति मिलती है वरना वह भटकती रहती है.