यूपी, बिहार के नहीं… ये हैं राजस्थान के पेड़े, चिड़ावा का दूध और केसर जमा देते हैं स्वाद

रविंद्र कुमार/झुंझुनू. जैसे बीकानेर की भुजिया पूरे देश में प्रसिद्ध हैं, कुछ वैसे ही चिड़ावा के पेड़े भी अपनी अलग ही पहचान रखते हैं. यह पेड़े न सिर्फ राजस्थान में बल्कि देश-विदेश तक फेमस हैं. विदेशों में रहने वाले मारवाड़ी लोग इस पेड़े को काफी पसंद करते हैं. बताया जाता है कि चिड़ावा शहर के दूध में ही ऐसी खास बात है जो इन पेड़ों को स्वादिष्ट बना देती है. चिड़ावा में नाहर सिंह के पेड़े प्रसिद्ध हैं.
दुकानदार नाहर सिंह ने बताया कि पिछले 45 साल से वह पेड़े बना रहे हैं. स्कूल में पढ़ने के दौरान ही उन्होंने चिड़ावा आकर पेड़े बनाने शुरू कर दिए थे. बताया कि पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत, वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी उनके पेड़ों की प्रशंसा करते हैं. उपराष्ट्रपति तो जब भी झुंझुनू आते हैं तब स्पेशल पेड़े उनको दिए जाते हैं. वह पेड़ों को अपने साथ ले जाते हैं.
सारा काम खुद करता हूं
नाहर सिंह ने बताया कि पेड़े बनाने के दौरान वह खुद गांव से दूध लेकर आते हैं. उस दूध को उबालकर उसका मावा बनाते हैं. उसके बाद उसमें चाशनी मिलाकर धीमी आंच पर मावे को सेंका जाता है. मावे की सेंकाई वह खुद ध्यान रखते हैं. फिर वह खुद ही अपने हाथ से पेड़े बनाते हैं. बताया उनके पास पेड़े की दो वैरायटी है. एक साधारण और दूसरा केसर पेड़ा. इसके अलावा, काजू कतली, गुलाब जामुन आदि भी वह बनाते हैं. बताया कि उनके द्वारा तैयार की जाने वाली मिठाई आज भी लकड़ी की भट्ठियों से तैयार की जाती है. गैस का उपयोग नहीं किया जाता.
440 रुपये किलो सादा पेड़ा
नाहर सिंह के पेड़े की डिमांड सिर्फ राजस्थान में ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों से भी इनके लिए ऑर्डर आते हैं. इन पेड़ों की कीमत की बात करें तो 440 व 540 रुपये किलो में बिक रहे हैं. इसमें सादा पेड़ा 440 तो केसर पेड़ा 540 रुपये किलो में बिक रहा है. बताया कि चिड़ावा में बहुत से कारखाने हैं, जहां पर पेड़े बनाए जाते हैं. लेकिन, उनका कारखाना एक ऐसा है जहां पर वह खुद आज भी पुराने तरीके से पेड़े बना रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 3, 2023, 16:14 IST