राजस्थान के इन 6 जिलों में डबल सीएमएचओ, असमंजस में कर्मचारी | Double Engine Government Medical Facilities Employees In Confusion Double Cmho

प्रदेश में झुंझुनूं, उदयपुर, शाहपुरा, सिरोही, जैसलमेर, डीडवाना में दो-दो चिकित्सक सीएमएचओ होने का दावा करते हुए कुर्सी पर बैठे हैं। ऐसे में विभाग के कर्मचारी असमंजस में है कि वह फाइल लेकर किसके पास जाएं। वहीं कामकाज प्रभावित होने से लोगों को सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा।
कहां पर क्या स्थिति
झुंझुनूं: यहां डॉ. छोटेलाल गुर्जर को राज्य सरकार ने सीएमएचओ पद पर लगाया है, वहीं डॉ. राजकुमार डांगी 15 मार्च को कोर्ट से स्थगन आदेश लेकर आए हैं। दोनों ही सीएमएचओ की हैसियत से अलग-अलग कमरों में बैठ रहे हैं।
सिरोही: राज्य सरकार ने डॉ. नारायण गौड़ को सीएमएचओ लगाया। डॉ. राजेश कुमार सात मार्च को कोर्ट से स्टे लेकर आए और इसी दिन जॉइन किया।
उदयपुर: राज्य सरकार ने डॉ. अशोक आदित्य को सीएमएचओ लगाया। कोर्ट से डॉ. शंकर बामणिया स्टे लेकर आए और जॉइन किया।
शाहपुरा: राज्य सरकार ने डॉ. घनश्याम चावला को सीएमएचओ लगाया, जबकि डॉ. विष्णुदयाल मीणा सात मार्च को कोर्ट से स्टे लेकर आए और इसी दिन जॉइन किया।
डीडवाना: राज्य सरकार ने डॉ. नरेंद्रसिंह चौधरी को सीएमएचओ लगाया। डॉ. अनिल जैन को सात मार्च को कोर्ट स्टे लेकर आए और 11 मार्च को जॉइन किया।
जैसलमेर: राज्य सरकार ने डॉ. राजेंद्र कुमार पालीवाल को सीएमएचओ लगाया। डॉ. बीएल बुनकर सात मार्च को कोर्ट स्टे लाए और जॉइन किया।
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दोनों की लड़ाई में यह आ रही है दिक्कत
कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति बनी है कि किसकी बात मानें और किसकी नहीं। साथ ही गुटबाजी होने से कर्मचारी दो फाड़ हो रहे हैं। इसका खमियाजा जनता को भुगतना पड़ता है।चिकित्सा व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग सही तरीके से नहीं हो पाती। सीएचसी, पीएचसी, उप केंद्रों में कार्यरत चिकित्सक, नर्सिंगकर्मी और कर्मचारी कार्यों में गंभीरता नहीं दिखाते। दवा व मेडिकल उपकरण की संख्या में कमी से मरीजों का इलाज प्रभावित हो सकता है।
-दोनों अधिकारी अलग-अलग निर्णय करते हैं। आपसी खींचतान की वजह से एक-दूसरे के निर्णय को या तो मानते नहीं हैं या फिर पलट देते हैं।
-विभाग से जुड़े कर्मचारियों के काम नहीं करने पर यदि एक अधिकारी नोटिस देता है तो दूसरा उसे शिथिलिता प्रदान कर देता है।
-दिव्यांगों के सर्टिफिकेट बनने से पहले सीएमएचओ से अप्रूवल लेनी होती है। वह भी नहीं मिल पाती।
-चिकित्सा विभाग में फाइनेंस से जुड़े सभी काम अटक जाते हैं।
-मौसमी बीमारियों का दौर शुरू हो गया। डेंगू और मलेरिया के रोगी आने शुरू हो गए हैं। ऐसे में सीएमएचओ के स्तर पर रोकथाम के प्रभावी उपाय किए जाने होते हैं।
चिकित्सा विभाग: जिन्हें लगाया गया है, वही रहेंगे कार्यालयध्यक्ष
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से शुक्रवार देर शाम एक आदेश जारी कर स्पष्ट किया गया है कि जिन्हें 22 फरवरी व 15 मार्च को सरकार की ओर से कार्यालयध्यक्ष पद पर पदस्थापित किया गया है, वही अग्रिम आदेश तक कार्यालयध्यक्ष का कार्य संपादित करेंगे। हालांकि जो डॉक्टर कोर्ट से स्टे लेकर आए हैं, वह पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं। झुंझुनूं में स्टे लेकर आए डॉ. राजकुमार डांगी ने कहा कि वह कोर्ट के आदेश पर सीएमएचओ पद पर पदस्थापित हैं।