हनीकॉम्ब पैड या सिंपल घास, कौन बनाएगा कूलर को ज्यादा कूल, किसमें आएगा कितना खर्च, दूर करो कंफ्यूजन

हाइलाइट्स
घास जल्दी पानी सोखती है और इसके छेद भी काफी महीन होते हैं.इसमें पानी का फ्लो अच्छी तरह से होता है तो कूलिंग भी जल्दी करता है. हनीकॉम्ब सेलूलोज का बना होता है और ज्यादा पानी सोखने की क्षमता है.
नई दिल्ली. गर्मी का सितम अपने चरम पर है और कल से नौतपा भी शुरू हो रहा है. नौतपा यानी अगले 9 दिन सबसे ज्यादा तपने वाले होंगे और दिन का पारा ज्यादातर समय 45 पार ही रहेगा. ऐसे में कूलर-पंखे का इस्तेमाल करने वालों की चुनौतियां और बढ़ने वाली है. गर्मी आते ही कई लोग अपने कूलर की घास बदलने लगते हैं, ताकि ज्यादा कूलिंग और हवा मिल सके. ऐसे में लोगों के मन में एक कंफ्यूजन हमेशा रहती है कि कूलर में हनीकॉम्ब (Honeycomb) पैड का इस्तेमाल किया जाए या फिर सिंपल घास बेहतर होगी. किस घास से ज्यादा कूलिंग मिलेगी और गर्मी से छुटकारा मिलेगा. आपके मन में भी अगर इसे लेकर कोई कंफ्यूजन है तो आज हम दूर कर देते हैं.
सबसे पहले बात करते हैं कि आखिर घास या हनीकॉम्ब की जरूरत होती क्यों है. दरअसल, जब हम कूलर चलाते हैं तो तो उसमें भरा पानी पाइप के जरिये कूल के तीन तरफ लगी घास या हनीकॉम्ब पर गिरता है जिससे यह गीला हो जाता है. अब तब कूलर का पंखा बाहरी हवा को खींचता है तो यह गर्म हवा उस घास या हनीकॉम्ब से होकर कूलर के भीतर जमा होती है और फिर पंखे के जरिये बाहर यानी आपके कमरे में फेंकी जाती है. इस प्रक्रिया में बाहर की गर्म हवा कूलर की दीवारों पर लगी घास अथवा हनीकॉम्ब से गुजरकर ठंडी हो जाती है और आपको भी कूल-कूल हवा मिलती है.
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कितनी कारगर है घासकूलर में लगने वाली घास कोई आम घास नहीं होती, बल्कि यह लकड़ी के पतले-पतले छिलके होते हैं. इनसे बने पैड काफी घने और मुलायम होते हैं. यह घास जल्दी पानी सोखती है और इसके छेद भी काफी महीन होते हैं, जिससे बाहर से आने वाली हवा वापस नहीं जा पाती है. इसमें पानी का फ्लो अच्छी तरह से होता है तो कूलिंग भी जल्दी करता है.
हनीकॉम्ब कितना दमदारजैसा कि इसके नाम से जाहिर है यह देखने में मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखता है. सेलूलोज का बना यह मैटेरियल लंबे समय तक पानी सोखने की क्षमता रखता है यानी अगर आपने कूलर का पानी बंद भी कर दिया तो भी यह हवा को ठंडा करता रहेगा. यह बाहर से आने वाली हवा को जल्दी ठंडा भी कर देता है और इसमें से होकर ज्यादा मात्रा में हवा पास भी हो जाती है.
कौन ज्यादा बेहतर ऑप्शनयूजर से बात करने पर पता चलता है कि अगर गर्मी कम पड़ रही है तब तो हनीकॉम्ब अधिक कारगर होता है. लेकिन, भीषण गर्मी से बचने के लिए आपको लकड़ी वाली घास का इस्तेमाल करना चाहिए. चूंकि, हनीकॉम्ब के छेड बड़े होते हैं तो इसमें से गर्म हवा भी पास हो जाती है, जबकि घास के छेद महीन होने से सिर्फ ठंडी हवा ही कूलर के भीतर पहुंच सकती है. इसकी कूलिंग भी तेजी से फैलती है और कमरा ठंडा हो जाता है.
कौन है ज्यादा खर्चीलादोनों में आने वाले खर्चे की बात करें तो लकड़ी की घास आपको 100 से 150 रुपये में आराम से मिल जाएगी. वहीं हनीकॉम्ब के लिए आपको 700 से 1,400 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं. हालांकि, घास में जल्दी धूल भर जाती है और यह पानी के संपर्क में आकर जल्दी सड़ भी जाती है तो इसे हर साल बदलने की नौबत आती है. वहीं, हनीकॉम्ब एक बार लगाने पर आराम से 2 से 3 साल तक चल जाता है.
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FIRST PUBLISHED : May 23, 2024, 17:30 IST