राजस्थान में तालमेल की पटरी से उतरी कांग्रेस ‘एक्सप्रेस’, प्रत्याशियों के चयन में विवाद | Lack of coordination in Congress

कई सीटों पर घोषित प्रत्याशियों ने अपनी इच्छा के विरुद्ध चुनाव लड़ने की बात कहकर पार्टी की फजीहत करा दी है। कांग्रेस को नजदीक से जानने वालों का कहना है कि संभवतः पहली बार है जब तालमेल के अभाव में इस तरह के फैसले लिए गए हैं। जयपुर से लेकर दिल्ली तक इसकी चर्चा है।
पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर भी उठे सवाल
जिताऊ चेहरों की तलाश के लिए पार्टी ने करीब 2 महीने पहले पर्यवेक्षकों को अलग-अलग भेजा था, लेकिन पर्यवेक्षक वास्तविक रिपोर्ट एआईसीसी को नहीं भेज पाए । इसके चलते भी प्रत्याशी चयन में पार्टी लोकसभा क्षेत्रों में रायशुमारी के लिए को गफलत का सामना करना पड़ा।
धड़ों में बंटे नेताओं में तालमेल का अभाव
प्रत्याशी चयन और गठबंधन को लेकर भी प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच तालमेल का अभाव रहा। पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और हरीश चौधरी सहित कई अन्य नेता केवल अपने समर्थकों को ही टिकट दिलाने के लिए लॉबिंग करते रहे। अन्य प्रत्याशियों की जमीनी हकीकत के बारे में जानकारी नहीं ली गई कि प्रत्याशी चुनाव लड़ने के इच्छुक भी हैं या नहीं। वहीं, नागौर सीट पर गठबंधन को लेकर नेता धड़ों में बंटे रहे। जिताऊ चेहरों के तौर पर सिंगल नाम तय करके स्क्रीनिंग कमेटी को भेजे गए।
इन सीटों पर विवाद की स्थिति बनी
जयपुर– सुनील शर्मा के जयपुर डायलॉग विवाद में आने के बाद उनकी जगह प्रताप सिंह खाचरियावास को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा गया। खाचरियावास ने कहा कि वे चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन पार्टी का फैसला उन्हें मानना पड़ा।
दौसा– दौसा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मुरारी लाल मीणा ने इच्छा के विरुद्ध चुनाव लड़ने की बात कहकर पार्टी की परेशानी बढ़ा दी थी।