लाल चींटी के अंडे असम में इतने फेमस क्यों हैं? बोहाग बिहू पर बनती है ये खास डिश, जानें तरीका
तूलिका देवी/असम. असमी व्यंजनों में कई तरह की सब्जियों और गैर-शाकाहारी चीजों का प्रयोग किया जाता है. वहीं, कुछ बाहरी प्रभावों के कारण असमी जनजातीय व्यंजन मुख्य रूप से विभिन्न तरह की देसी शैलियों और चीजों का एक मेलजोल है. असम के स्थानीय निवासी सामुदायिक जलसों में कबूतर, बत्तख आदि का मांस खाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे खास अवसर होते हैं जब कीड़ों का व्यंजन आवश्यक रूप से बनाया जाता है. पोलू (रेशम का कीड़ा) और अमरोली पोरुआर तुप (लाल चींटी के अंडे) से बने व्यंजन असम के कई आदिवासी समुदाय के लोगों में लोकप्रिय हैं. विशेषकर बोहग बिहू पर्व ( फसल कटने और अप्रैल के महीने में मनाया जाने वाला) के मौके पर कई समुदाय ‘अमरोली पोरुआर तुप’ या लाल चींटी के अंडे के व्यंजन बनाते हैं. इसे घर में ही परंपरागत तरीके से तैयार शराब (हाज) के साथ खाते हैं.
बता दें कि रोंगाली बिहू/बोहाग बिहू के मौके पर लाल चींटी के अंडे पेड़ों से इकट्ठे किए जाते हैं. यह चींटी विशेषकर आम और कटहल के पेड़ों पर मिलती है. यह पत्तों का सुंदर सा घोंसला बनाकर उसके अंदर रहती है और अंडे देती है. मॉनसून के पहले और विशेषकर वसंत के मौसम में ये लाल चीटियों भारी मात्रा में अंडे देती हैं, जो देखने में चावल के दाने की तरह ही होते हैं. इनका रंग भी सफेद होता है. इन अंडों को लाल चीटियों के साथ ही बड़ी कुशलता से घोंसले से निकालकर इकट्ठा किया जाता है. ऐसा करते वक्त काफी सावधानी बरती जाती है. दरअसल लाल चीटियों के बारे में कहा जाता है कि वे बहुत ही सतर्क होती हैं और अपने दुश्मनों पर हमले के लिए जानी जाती हैं. यह काटते समय अपनी पीठ में जमा अम्लीय द्रव को दुश्मनों पर छोड़ती हैं, जो कि काफी दर्द पैदा करता है.
अहोम और ऊपरी असम में है मशहूर
खासकर अहोम और ऊपरी असम में रहने वाले दूसरे जनजातीय समुदाय के लोग लाल चींटी के अंडे के व्यंजन बनाते और खाते हैं. यह डिश खाने में खट्टी और स्वादिष्ट होती है. ऐसा माना जाता है कि इसमें काफा ज्यादा पोषक तत्व होते हैं. साथ ही जिनको खट्टा स्वाद पसंद नहीं होता, वह इस व्यंजन को बनाने से पहले चींटी को निकालकर फेंक सकते हैं. जानकारों के मुताबिक, आम के पेड़ से इकट्ठा किए जाने वाले ‘अमरोली पोरुआर तुप’ को गुणवत्ता की दृष्टि से सबसे अच्छा माना जाता है. जबकि लाल चींटी के अंडे प्रोटीन का बहुत ही बड़ा स्रोत है. इसके अलावा इसमें आयरन, कैल्शियम और विटामिन B12 भी पाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह डिश कुछ विशेष तरह की बीमारियों से बचाती है और यह स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है.
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‘अमरोली पोरुआर तुप’ बनाने की विधि
किसी भी दूसरे असमी व्यंजन की तरह इसे भी लकड़ी की आग पर पकाया जाता है. इसमें मसाला और तेल कम मिलाया जाता है. वहीं, इसका स्वाद काफी कड़ा होता है. बनाते समय रखा जाता इन बातों का ध्यान….
>>एक बर्तन में तेल गर्म करें और इसमें कटे हुए प्याज डालकर इसे तब तक भूनें जब तक यह हल्के भूरे रंग का न हो जाए.
>>अब इसमें लाल चींटी के अंडे/अमरोली तुप को डालें _
>>हल्दी, जीरा पाउडर, धनिया पाउडर और लाल मिर्च पाउडर डालें. इसे चलाते रहें और फ्राई करें.
>>हरी मिर्च और नामक डालें. इसे ढक दें और अगले पांच मिनट तक हल्की आंच पर पकने दें.
>>अगर आप सिर्फ चींटी के अंडे को पका रहे हैं तो इसमें अंडे और टमाटर डालें.
>>अब इसमें गरम मसाला डालें और दो मिनट तक मिलाने और फ्राई करने के बाद इसे गैस से उतार लें. अब यह गरमा गरम खाने के लिए तैयार है.
>>आप चाहें तो इसे स्टार्टर या फिर सहायक डिश के रूप में चावल के साथ खा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 08, 2023, 14:00 IST