वर्ष 2049 तक दुनिया में चीन का प्रभुत्व चाहते हैं चीनी राष्ट्रपति, शी जिनपिंग के विजन 2049 से बाजार हुआ क्रेश

चीन की हाई प्रोफाइल पार्टी कांग्रेस में शी जिनपिंग को फिर से ऐतिहासिक रूप से 5 साल के लिए पार्टी का महासचिव चुन लिया गया है। कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस के उद्घाटन पर एक स्तर पर शी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह चीन को कहां ले जाना चाहते हैं। अपने भाषणा में उन्होंने कहा कि वे 2035 तक चीन को एक आधुनिक समाजवादी शक्ति बनाने, प्रति व्यक्ति आय को मध्यम आय स्तर तक बढ़ाने और सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। ये बात वे पहले भी कहते रहे हैं। लेकिन जिस बात से दुनिया सतर्क है और बाजार क्रेश हो गया, वो ये कि शी जिनपिंग 2049 तक यानी साम्यवादी चीनी गणराज्य के गठन की 100 वीं वर्षगांठ तक, यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनका राष्ट्र “समग्र राष्ट्रीय शक्ति और अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव के मामले में दुनिया का नेतृत्व करे।” जिनपिंग की इस घोषणा से बाजार में सिहरन दौड़ गई।
शंघाई पार्टी प्रमुख ली कियांग को बनाया गया पीएम
इसके पहले इस हफ्ते की शुरुआत में चीन के शेयर बाजार में तब गिरावट आई थी, जब राष्ट्रपति ने एक दशक में दो बार होने वाले पार्टी नेतृत्व में फेरबदल के दौरान अपने नए सहयोगियों के नामों की घोषणा की। विशेष रूप से अनुभव की कमी के बावजूद शंघाई पार्टी के प्रमुख ली कियांग को प्रधानमंत्री के रूप में स्थान दिए जाने से सबको हैरान किया है। उन्होंने आर्थिक विकास से सुरक्षा की ओर प्राथमिकताओं के बदलाव का भी संकेत दिया, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई कि कैसे इस योजना के साथ शी देश को आगे बढ़ाएंगे।
बेहद महात्वाकांक्षी और जोखिम से भरा है शी का प्लान
जानकारों के अनुसार चीनी राष्ट्रपति का 2049 का प्लान पूरी दुनिया मेंं चीनी नेतृत्व को स्थापित करने का है, जिसका आशय है ताइवान में टकराव, अफ्रीकी महाद्वीप की बेरोकटोक लूट और अमरीका के वर्चस्व में कमी। साथ ही साफ है कि शी का रोड मैप विरोधाभासों से भरा है: कोविड ज़ीरो के तहत शहरों को बंद करते हुए आर्थिक विकास को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है; सख्त नीतियों से तकनीकी क्षेत्र से 1.5 ट्रिलियन डॉलर का सफाया करते हुए तकनीकी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना दुष्कर कार्य है; अभिव्यक्ति और पूंजी प्रवाह को प्रतिबंधित करते हुए चीन को दुनिया के लिए और अधिक खोलना कैसे संभव होगा। और शायद सबसे बड़ा विरोधाभास ये कि “ऐतिहासिक मिशन” और “चीनी राष्ट्र के कायाकल्प को साकार करने के लिए एक प्राकृतिक आवश्यकता” को पूरा करने के लिए ताइवान पर एक विनाशकारी युद्ध का जोखिम लेना।
शुरुआती काल में मुक्त बाजार के समर्थक थे शी जिनपिंग
जानकारों का कहना है कि, जब शी जिनपिंग 2012 में सत्ता में आए थे, तो शुरुआती उम्मीदें थीं कि वह अपने सुधारवादी पिता शी झोंगक्सुन का अनुसरण करेंगे और चीन को उदार बनाने की ओर कदम बढ़ाएंगे। ऐसा चीन जो घरेलू स्तर और बाकी दुनिया के लिए खुला हो।
विकीलीक्स द्वारा जारी उनके हैक किए गए अभियान ईमेल में शामिल दस्तावेजों के अनुसार, पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने एक अमेरिकी बैंकिंग सम्मेलन में कहा था कि चीन का नया नेता अपने पूर्ववर्ती हू जिंताओ की तुलना में “सांसारिक,” “परिष्कृत” और “अधिक प्रभावी” था। पदभार ग्रहण करते हुए, शी ने शेनझेन की यात्रा की थी, जो चीन के सुधारवादी नेता देंग शियाओपिंग द्वारा 1992 के दक्षिणी चीन के दौरे की प्रतिध्वनि थी, जिनके “सुधार और खुलेपन” की नीति ने चीन के आर्थिक चमत्कार को गति दी।
चीन का सर्वोच्च नेता बनने की ओर
इसके बजाय, शी ने माओत्से तुंग के बाद से खुद को चीन का सबसे शक्तिशाली नेता बनाने के लिए अर्थव्यवस्था को चलाने और नियंत्रण को केंद्रीकृत करने में पार्टी की भूमिका को समाप्त कर दिया। उन्होंने झिंजियांग से हांगकांग तक असंतोष को कुचल दिया, और कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष स्तरों पर सत्ता के बंटवारे और हस्तांतरण के चार दशकों की प्रक्रिया को खत्म कर दिया।
अब दुनिया की नजर इस बात पर है कि शी जिनपिंग कैसे अपने इस मिशन 2049 के प्लान पर आगे बढ़ते हैं।