विटामिन-C का तगड़ा स्रोत है यह घास, डायबिटीज समेत कई बीमारियों के लिए रामबाण इलाज…जानें फायदे

कृष्ण कुमार/ नागौर. दूधी घास नाम सुनने पर ही ऐसा लग रहा है कि इस घास मे से दूध निकलता है. जी हां इस घास की टहनी या पते को बीच मे से तोड़गे तो दूध निकलेगा. इसी कारण इसे दूधी घास कहते है. दूधी घास की बात करे तो इसमे विटामिन सी सबसे ज्यादा पाया जाता है. इसका उपयोग आयुर्वेद तथा पशुओं में दूध की मात्रा को बढ़ाने के लिए किया जाता है.
आयुर्वेद में है दूधी घास का उपयोग
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शर्मा वे बताया कि दूधी घास कुछ रोगों का रामबाण ईलाज है. इसे एक औषधीय पौधा के रुप मे जाना जाता है. इस दूधी घास की आयुर्वेद में बात करे तो इसको सुखाकर इसका चूर्ण बनाकर यदि कोई व्यक्ति उपयोग करता है तो आंतो में रक्त स्त्राव रुक जाता है और अस्थमा का रोगी और अतिसार का रोगी है तो रक्त स्त्राव के समन के लिए इसका उपयोग कर सकता है. इसके अलावा डायबीटिज का रोगी बी उपयोग कर सकता है.
इस तरह करें उपयोग
डॉ. गोपाल शर्मा ने बताया कि इसके लिए दूधी घास को जमीन से काटकर छाव के अंदर सूखाना है. सूखने के बाद उसे चूर्ण के रुप में पीस लेना है. इस घास का चूर्ण बनाकर 1 से 3 ग्राम के मध्य सेवन करना है. इसके उपयोग करने से पहले एक बार डॉ. से सलाह जरुर ले.
पशुओं के लिए इम्युन बूस्टर
पशु विशेषज्ञ डॉ. नरेन्द्र प्रकाश चौधरी ने बताया कि यह पशुओं की कई बीमारियों के उपचार करने में काम मे आता है. यह पशुओं के लिए इम्यून बूस्टर के रुप में काम करता है. यह पशुओ के लिए लाभदायक है. इसमें विटामिन C की मात्रा होती है. इसका मुख्यतः उपयोग पशुओं को स्कीन एलर्जी, न्यूमोनिया, श्वसन तंत्र में ब्रोकाईटिस इत्यादि रोगों के उपचार के लिए किया जाता है. इसे पशुओं को खिलाया भी जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : July 26, 2023, 14:30 IST