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यूं ही नहीं हैं केजरीवाल विपश्यना के मुरीद, इसके हैं कई फायदे, जानिए इसके बारे में सबकुछ/Kejriwal is fan of Vipassana all you know the details of Vipassana Lak– News18 Hindi

Benefits of Vipassana: आज जिस तरह का लाइफस्टाइल है और जिस बेतरतीब तरीके से लोगों की हेल्थ गिर रही हैं, उसमें विपश्यना (Vipassana) का पॉपुलर होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है. आज हर किसी को मन की शांति की जरूरत है. इन कठिन परिस्थितियों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही इसके मुरीद नहीं हैं बल्कि दुनिया भर के कई नामी लोगों ने विपश्यना से जीवन को सार्थक बनाया है. सीधे तौर पर कहें, तो विपश्यना मन और आत्मा को शुद्ध करने का तरीका है. लेकिन इसके आगे भी बहुत कुछ है जिसकी वजह से विपश्यना आज इतना लोकप्रिय हो गया है. यह खुद को खोजने की कला है.

क्या है विपश्यना
विपश्यना एक आंतरिक ध्यान (Meditation) का तरीका है, जिसमें मन और आत्मा को संतुलित करने के लिए कठिन साधना की जाती है. इससे शरीर और मन का मिलन होता है. विपश्यना को कुछ लोग भगवान बुद्ध द्वारा शुरू की गई परंपरा मानते हैं. हालांकि ऋग्वेद में भी इसका जिक्र किया गया है. इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में विपश्यना की महिमा को बताया है. समय के साथ ये विधा विलुप्त हो चुकी थी लेकिन करीब 2500 वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध ने दोबारा विपश्यना की खोज की और लोगों को इसका लाभ दिलवाया. धम्म डॉट कॉम के मुताबिक विपश्यना ध्यान की सबसे प्राचीन विधा है. इसके अनुसार करीब 2500 साल पहले सभी तरह की बीमारियों और बुराइयों को खत्म करने के लिए सार्वभौमिक ज्ञान की परंपरा के रूप में इसे पढ़ाया जाता था. यह भी माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने विपश्यना के माध्यम से बुधत्व को प्राप्त किया था.

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यह करना होता है विपश्यना में
यूं समझिए कि विपश्यना 10 दिनों का ध्यान करने का कोर्स है. इसके लिए विपश्यना केंद्रों पर शिविर में 10 दिनों तक कठिन साधना करना पड़ती है. इसमें ध्यान करने वाले व्यक्ति को 10 दिनों तक बाहरी दुनिया से पूरी तरह संपर्क तोड़ना होता है. मौन मे रहना होता है. बातचीत की इजाजत नहीं होती. फोन की भी अनुमति नहीं है. धम्म डॉट कॉम के मुताबिक विपश्यना साधना में खुद को खोजना होता है. इसमें खुद का आत्मनिरीक्षण किया जाता है. यह मन और शरीर के बीच गहरे अंतर्संबंध पर केंद्रित है जिसमें अनुशासित ध्यान के माध्यम से शारीरिक संवेदनाओं को महसूस किया जाता है.

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पहले चार दिन तक आसनों को सिखाया जाता
शुरुआती तीन दिनों में साधक को सुखासन, वज्रासन या किसी भी आसन में बैठाया जाता है. इसके बाद लगातार तीन दिनों तक उसे सांसों पर नियंत्रण करना सिखाया जाता है. इस दौरान नाक के दोनों छिद्रों पर ध्यान केंद्रित करके सांस पर नियंत्रण करना सिखाया जाता है. चौथे दिन मूंछ वाली जगह पर होने वाली संवेदनाओं को महसूस करने की कला सिखाई जाती है.

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पांचवे दिन से कठिन साधना
पांचवे दिन से सिर से लेकर पांव तक शरीर के प्रत्येक अंग से अपने मन को गुजारने और इसे शरीर के अंदर लेने के दौरान संवेदनाओं को महसूस करने की कला सिखाई जाती है. लगातार तीन दिनों तक यही क्रम चलता है. आठवें दिन शरीर के कई अंगो में एक साथ मन को गुजारने और उन अंगों की संवेदनाओं को महसूस करने के लिए कहा जाता है. नौवें दिन सारे शरीर में एक साथ एक जैसी संवेदनाओं की धारा प्रवाह का अनुभव कराया जाता है और दसवें दिन शरीर के भीतरी अंगो में से भी मन को आगे बढ़ाते हुए होने वाली संवेदनाओ पर ध्यान देने के लिए कहा जाता है. इस दौरान रीढ की हड्डी में से अपना मन नीचे से ऊपर जाते हुए उससे होने वाली संवेदनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की कला सिखाई जाती है.

10 दिनों का शिविर है बिल्कुल मुफ्त
विपश्यना कोर्स करने का कोई पैसा नहीं लगता. धम्म डॉट कॉम के मुताबिक 10 दिनों का शिविर बिल्कुल मुफ्त है. शिविर में ही विपश्यना ध्यान करने वालों को भोजन, वस्त्र इत्यादि दिए जाते हैं. यहां तक कि शिविर में रहने का भी कोई चार्ज नहीं किया जाता. सभी तरह के खर्चे को लोगों द्वारा दिए गए चंदे से पूरा किया जाता है. यह कोर्स कोई भी कर सकता है.

विपश्यना के फायदे
इसको करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में तनाव व मानसिक परेशानियों से मुक्ति प्राप्त कर समस्याओं का समाधान खोजने में समर्थ होता है. विपश्यना में सिद्ध पुरुष राग, भय, मोह, लालच, द्वेष समेत कई विकारों से मुक्ति पा सकता है.

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