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सरिस्का और पुष्कर से खास लगाव था राजीव गांधी का, निधन से 10 दिन पहले आये थे जोधपुर Rajasthan News-Jaipur News-Rajiv Gandhi Special Story-attachment with Sariska and Pushkar


राजीव गांधी की पुष्कर तीर्थ में बेहद आस्था थी. यहां वे खास तौर से ब्रह्माजी के मंदिर में दर्शन के लिए आते थे.
Today is death anniversary of Rajiv Gandhi: देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का राजस्थान से विशेष लगाव था. वे यहां कई बार आये. वे निधन से 10 दिन पहले भी जोधपुर आये थे और आमसभा को संबोधित किया था. राजस्थान में पुष्कर और सरिस्का उनकी पसंदीदा जगह थी.
जयपुर. राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) प्रधानमंत्री रहे हों या नहीं लेकिन राजस्थान (Rajasthan) से उनका खास जुड़ाव रहा है. खासकर अलवर में सरिस्का और अजमेर के पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर उनकी पसंदीदा जगह रही हैं. उन्होंने दोनों स्थानों पर तीन-तीन बार विजिट की थी. यहां तक कि सरिस्का में तो एक बार कैबिनेट बैठक बुलाना ही काफी चर्चा में रहा. निधन से दस दिन पहले जोधपुर में उनकी हुई जनसभा की रिकार्डिंग सुनकर तब लोगों की आंखें नम हो जातीं थी. आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि है. राजीव गांधी का अलवर से खास लगाव था. विशेष रूप से सरिस्का उनको बेहद पसंद था. इसलिए वे तीन बार सरिस्का आए. राजीव गांधी पहली बार 1970 में पत्नी सोनिया गांधी के साथ आए. इस दौरान उन्होंने सरिस्का घूमते हुए दो बार टाइगर को शिकार करते हुए देखा. इसे देखकर वे रोमांचित हुए और सरिस्का को पसंद करने लगे. सोनिया-राहुल-प्रियंका के साथ फिर आए सरिस्का इसके बाद वे सन् 1975 में पत्नी सोनिया और राहुल-प्रियंका के साथ अलवर आए. इस दौरान उनकी कार अलवर में खराब हो गई। कार को ठीक कराने के लिए अट्टा मंदिर के पास लाया गया. इसके बाद वे अपने परिवार के साथ शहर में म्यूजियम देखने के लिए गए. कार ठीक होने के बाद वे सरिस्का गए. राजीव को सरिस्का इतना पसंद आया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने दिसंबर 1987 में प्रधानमंत्री के रूप में अपनी कैबिनेट की मीटिंग सरिस्का के होटल टाइगर डैन में की. तब सरिस्का को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब ख्याति मिली. यह संभवत: दिल्ली के बाहर किसी पीएम की पहली कैबिनेट मीटिंग थी.निधन से दस दिन पहले जोधपुर में आमसभा अपने जमाने के युवा तुर्क रहे राजीव गांधी अपने निधन से केवल दस दिन पहले जोधपुर आये थे. वहां उन्होंने आम सभा संबोधित की थी. यह संभवत: उनकी राजस्थान की अंतिम आमसभा थी. तब लोगों ने उनके भाषण की रिकार्डिंग की थी. क्या पता था कि दस दिन बाद ही इसे नम आंखों से सुनेंगे. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का 21 मई 1991 में श्री पैरुम्बुदूर में बम ब्लास्ट में निधन हो गया था. वे इससे दस दिन पहले ही जोधपुर आए थे. राजीव की आवाज गूंजी, कहां है अशोक
जोधपुर में हुई उस आम सभा में वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, तत्कालीन पूर्व विधायक मानसिंह देवड़ा और प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन महामंत्री जुगल काबरा मंचासीन थे. उस सभा के लिए राजीव को बम्बा-हाथीराम का ओडा से होते हुए घंटाघर के सामने मंदिर के बाहर उतारा गया था. राजीव स्टेज पर पहले पहुंच गए और गहलोत पीछे रह गए. तब राजीव गांधी ने कहा था, अरे भई अशोक कहां है ? राजीव ने जैसे ही यह बोला माइक पर उनकी आवाज गूंज उठी थी. भाषण की रिकार्डिंग को सुन आंखें हुई नम इस सभा में हजारों का जन सैलाब उमड़ा था. तब मोबाइल का जमाना तो था नहीं उनका भाषण लोगों ने रिकार्डर पर रिकार्ड किया. कुछ दिन बाद ही जब राजीव का बम ब्लास्ट में निधन हुआ तो नई सड़क की दुकानों पर उनका भाषण कई दिनों तक सुना गया. उनकी गूंजती आवाज को सुनकर लोग वहीं रुक जाते और जोधपुर के अंतिम भाषण को सुनकर उनकी आंखें नम हो जाती. जोधपुर की सभा की याद में यहां उनकी प्रतिमा लगाई गई है. जैसलमेर में सोनिया संग की कैमल राइडिंग पायलट रहे राजीव गांधी को घूमने का काफी शौक था. वे नई-नई जगह एक्सप्लोर करते थे. अस्सी के दशक में राजीव गांधी और सोनिया गांधी राजस्थान घूमने आए थे. राजीव-सोनिया ने तब रेतीले धोरों के लिए प्रसिद्ध जैसलमेर का भ्रमण किया था. जैसलमेर में इस युगल ने ऐतिहासिक इमारतें देखने के अलावा ऊंट पर बैठकर भी सैर की. उन्हें यह यात्रा भी रोमांचक लगी थी. पुष्कर में अगाध श्रद्धा, तीन बार आए राजीव गांधी की पुष्कर तीर्थ में बेहद आस्था थी. यहां वे खास तौर से ब्रह्माजी के मंदिर में दर्शन के लिए आते थे. यहां उनका कई बार आना-जाना लगा रहा. चाहे वे प्रधानमंत्री रहे हों या नहीं, लेकिन पुष्कर आना नहीं छूटा. वे पहली बार 1983 में पुष्कर तब आए जब कांग्रेस के महासचिव थे. इसके बाद प्रधानमंत्री बने तो 1989 में पुष्कर पहुंचे और यहां ब्रह्मा मंदिर में पूरे विधिविधान से पूजा अर्चना की. इसके बाद 1991 में भी वे मंदिर में दर्शन के लिए आए थे. यहीं नहीं गांधी के निधन के बाद उनकी अस्थियां पुष्कर में भी विसर्जित की गईं थीं.
जोधपुर में हुई उस आम सभा में वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, तत्कालीन पूर्व विधायक मानसिंह देवड़ा और प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन महामंत्री जुगल काबरा मंचासीन थे. उस सभा के लिए राजीव को बम्बा-हाथीराम का ओडा से होते हुए घंटाघर के सामने मंदिर के बाहर उतारा गया था. राजीव स्टेज पर पहले पहुंच गए और गहलोत पीछे रह गए. तब राजीव गांधी ने कहा था, अरे भई अशोक कहां है ? राजीव ने जैसे ही यह बोला माइक पर उनकी आवाज गूंज उठी थी. भाषण की रिकार्डिंग को सुन आंखें हुई नम इस सभा में हजारों का जन सैलाब उमड़ा था. तब मोबाइल का जमाना तो था नहीं उनका भाषण लोगों ने रिकार्डर पर रिकार्ड किया. कुछ दिन बाद ही जब राजीव का बम ब्लास्ट में निधन हुआ तो नई सड़क की दुकानों पर उनका भाषण कई दिनों तक सुना गया. उनकी गूंजती आवाज को सुनकर लोग वहीं रुक जाते और जोधपुर के अंतिम भाषण को सुनकर उनकी आंखें नम हो जाती. जोधपुर की सभा की याद में यहां उनकी प्रतिमा लगाई गई है. जैसलमेर में सोनिया संग की कैमल राइडिंग पायलट रहे राजीव गांधी को घूमने का काफी शौक था. वे नई-नई जगह एक्सप्लोर करते थे. अस्सी के दशक में राजीव गांधी और सोनिया गांधी राजस्थान घूमने आए थे. राजीव-सोनिया ने तब रेतीले धोरों के लिए प्रसिद्ध जैसलमेर का भ्रमण किया था. जैसलमेर में इस युगल ने ऐतिहासिक इमारतें देखने के अलावा ऊंट पर बैठकर भी सैर की. उन्हें यह यात्रा भी रोमांचक लगी थी. पुष्कर में अगाध श्रद्धा, तीन बार आए राजीव गांधी की पुष्कर तीर्थ में बेहद आस्था थी. यहां वे खास तौर से ब्रह्माजी के मंदिर में दर्शन के लिए आते थे. यहां उनका कई बार आना-जाना लगा रहा. चाहे वे प्रधानमंत्री रहे हों या नहीं, लेकिन पुष्कर आना नहीं छूटा. वे पहली बार 1983 में पुष्कर तब आए जब कांग्रेस के महासचिव थे. इसके बाद प्रधानमंत्री बने तो 1989 में पुष्कर पहुंचे और यहां ब्रह्मा मंदिर में पूरे विधिविधान से पूजा अर्चना की. इसके बाद 1991 में भी वे मंदिर में दर्शन के लिए आए थे. यहीं नहीं गांधी के निधन के बाद उनकी अस्थियां पुष्कर में भी विसर्जित की गईं थीं.