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सर्दी और प्रदूषण से अब निमोनिया का शिकार हो रहे हैं दिल्ली- NCR के बच्चे, जानें लक्षण और डॉक्टरों की सलाह

नई दिल्ली. मौसम में आए बदलाव का असर अब दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) के लोगों पर भी पड़ने लगा है. खासतौर पर स्वस्थ बच्चे (Healthy Children) भी सर्दी और प्रदूषण (Cold and Pollution) बढ़ने की वजह से निमोनिया (Pneumonia) के चपेट में आ रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर के गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अस्पतालों में निमोनिया से ग्रस्त बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. यहां के सरकारी और निजी अस्पतालों में सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीजों की संख्या अब दोगुनी हो गई है. डॉक्टरों का मानना है कि मौसम में आए बदलाव और प्रदूषण के कारण ये समस्याएं बढ़ रही हैं. खासतौर जिन बच्चों ने वैक्सीन नहीं लगाई गई है, उन्हें इस मौसम में अधिक खतरा है.

नोएडा के फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन और पीडियाट्रिशियन डॉ. डीके गुप्ता कहते हैं, ‘इस मौसम में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है. पिछले कुछ दिनों से ओपीडी में निमोनिया से ग्रस्त बच्चे ज्यादा मिल रहे हैं. बच्चों की मौत की प्रमुख वजह निमोनिया होती है. निमोनिया के लक्षणों को समय से पहचान कर इलाज शुरु कर बच्चों का बचाव कर सकते हैं. सर्दी में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है. बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए. उन्हें पूरे कपड़े पहना कर रखें. कान ढककर रखें, सर्दी से बचाएं.’

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बच्चों में तेज सांस लेना, सीने में घरघराहट आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं. (Image-Canva)

निमोनिया से आप बच्चों को ऐसे बचा सकते हैं
डॉ गुप्ता आगे कहते हैं, ‘बच्चों में तेज सांस लेना, सीने में घरघराहट आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं. पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है, जबकि खसरा एक अत्यधिक संक्रामक रोग है. खसरा वायरस के कारण होता है. बुखार और चकत्ते के अलावा कान में संक्रमण, दस्त और निमोनिया जैसी विभिन्न बीमारियां होने संभावना रहती है. खसरे से बचाव के लिए टीकाकरण अत्यधिक प्रभावी है. संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर हवा में बूंदें फैलती हैं. नतीजतन, जब अन्य लोग उन्हें सांस लेते हैं, तो वे संक्रमित हो सकते हैं.

नियमित टीकाकरण प्रभावित होने से मामले बढ़े
बता दें कि कोरोना काल में बच्चों का नियमित टीकाकरण प्रभावित रहा है. इसकी वजह से बच्चे वैक्सीन का पूरा कोर्स नहीं कर पाए हैं. इसलिए जरूरी है कि बच्चों का समय से टीकाकरण कराएं. फेफड़ों का संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगल संक्रमण से होता है. जुकाम एक तरह की एलर्जी है, जिसके कारण नाक बहना और गले से बलगम है. जब हमारे श्वसन तंत्र के साथ पस और पानी का मिश्रण बनना इंफेक्शन निमोनिया का संकेत है. निमोनिया का टीकाकरण पैदा होने की पहली डोज छह सप्ताह, दूसरी 10 सप्ताह तीसरी 14 सप्ताह और बूस्टर डोज 18 महीने के बाद लगाई जाती है.

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मौसम में आए बदलाव का असर अब दिल्ली-एनसीआर के लोगों पर पड़ने लगा है.

निमोनिया से बचाव
निमोनिया से बचने का सबसे अधिक और बेस्ट तरीका है टीकाकरण. न्यूमोकॉकल वैक्सीन, पीसीवी 13, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी, यह वैक्सीन आपको बैक्टेरियल निमोनिया से बचा सकती हैं. इसके साथ ही साबुन या हैंडवॉश से नियमित रूप से कई बार हाथों को धोते रहें. निमोनिया संक्रमित लोगों की ड्रॉपलेट से फैलता है, इसलिए आप ऐसे लोगों से फेस टू फेस संपर्क न करें. खांसते और छींकते समय मुंह को ढंक लेना चाहिए. आप अपनी कोहनी पर छींक कर खुद के हाथों को संक्रमित करने से बचा सकते हैं.

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 निमोनिया के लक्षण
-छाती में दर्द, खासकर जब आप सांस लेते हैं या खांसते हैं
-कफ या बलगम पैदा करने वाली खांसी- बलगम पीले, हरे, यहां तक ​​कि
-खून के रंग जैसे अलग-अलग हो सकते हैं
-अत्यधिक थकान
-भूख में कमी
-बुखार
-पसीना और ठंड लगना
-जी मचलाना और उल्टी

Tags: Air pollution, Children Vaccine, Cold in delhi, Delhi-NCR News, Doctors

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