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सर्वपितृ अमावस्या आज, ऐसे तर्पण कर उठा सकते हैं पूरे पितृ पक्ष का लाभ, मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद

मोहित शर्मा/करौली. अपने आखिरी चरण के साथ 16 दिवसीय पितृपक्ष का कल आखिरी दिन है. इस आखिरी दिन को क्षतिपूर्ति श्राद्ध और सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पितृपक्ष की इस आखिरी अमावस्या को काफी ज्यादा लाभकारी बताया जाता है.

मान्यता है कि इस एक दिन जो भी व्यक्ति अपने पितरों का स्मरण कर उनके लिए तर्पण और श्राद्ध करता है तो उन्हें 16 दिवसीय पितृपक्ष का और पूर्वजों का भरपूर आशीर्वाद मिलता है. यदि पूरे पितृपक्ष में किसी का श्राद्ध करना भूल गए हैं या मृत व्यक्ति की तिथि का मालूम नहीं है तो इस तिथि पर उनके लिए श्राद्ध किया जा सकता है. ज्ञात और अज्ञात पूर्वजों के श्राद्ध के लिए इस अमावस्या को सर्वोप्रिय माना जाता है.

कर्मकांड ज्योतिषी मनीष उपाध्याय के मुताबिक आज 13 अक्टूबर की रात्रि से 9:50 मिनट पर अमावस्या तिथि लग जाएगी. जो 14 अक्टूबर तक 11:24 मिनट तक मध्यरात्रि के बीच रहेगी. उपाध्याय ने बताया कि जिन्होंने अब तक अपने पितरों के लिए एक भी दिन तर्पण नहीं किया है तो ऐसे लोगों को कल अवश्य ही तर्पण करना चाहिए. इसे महाल्या अमावस्या और मोक्षदाहिनी अमावस्या भी कहा जाता है. पितरों की सेवा के लिए यह अमावस्या बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण रहती है.

आज के दिन सभी पूर्वजों का कर सकते हैं तर्पण

ज्योतिषी मनीष उपाध्याय ने बताया कि जब कुंडली में पितृ दोष, गुरु चांडाल योग, चंद्र या सूर्य ग्रहण योग हो तो इस दिन विशेष उपाय किए जाते हैं और साथ ही ज्ञात और अज्ञात पितरों के पिंडदान करना इस दिन श्रेष्ठ माना जाता है. बहुत से लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु तिथि याद नहीं रहती हैं. ऐसी स्थिति में शास्त्रों में भी इसका निवारण सर्वपितृ अमावस्या को बताया गया है. जिसमें उन मृत लोगों के लिए पिंडदान,श्राद्ध, तर्पण कर्म किए जाते हैं.

इस अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करने के बाद पितृ स्थान को सबसे पहले शुद्ध करना चाहिए. उसके बाद पितरों का स्मरण और पूजा अर्चना के बाद उन्हें तर्पण करना चाहिए और खासकर इस दिन पंचवली अवश्य देनी चाहिए. जिसमें प्रसाद के लिए बनाए गए भोजन में से एक हिस्सा गाय, एक कुत्ता एक कौए का और एक अतिथि के लिए रख देना चाहिए.

दान का रहता है सबसे ज्यादा महत्व

उपाध्याय ने बताया कि पितृ पक्ष की अमावस्या पर ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ-साथ ही जरूरतमंदों को धन और अनाज का दान करना चाहिए और खासतौर से वस्त्र दान तो अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने से पितृ देवता बहुत खुश और भरपुर आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

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