सोशल प्लेटफार्म पर ट्रेंड करता रहा हल्दीराम, क्या है राजस्थान कनेक्शन, जानिए पूरा कहानी
जयपुर. सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर हल्दीराम ब्रांड (Haldiram’s Brand) अपने उत्पाद को लेकर सुर्खियों में है. कुछ लोगों ने भाषा के विवाद का तड़का लगाया है और कुछ इससे जुड़े एक वीडियो खूब वायरल कर रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि करोड़ों के टर्न ओवर वाली इस कंपनी की शुरुआत कब, कहां, कैसे हुई थी ? दरअसल, देसी स्नैक्स बनाने वाली कंपनी हल्दीराम की कहानी भी नमकीन, गोल गप्पे और भेलपुरी के स्वाद से भी ज्यादा चटपटी है. हल्दीराम के उदय का कनेक्शन राजस्थान के बीकानेर शहर से जुड़ा है. किसने सोचा था बीकानेर की एक छोटी सी दुकान एक दिन दुनिया भर में मशहूर हो जायेगी, लेकिन मेहनत और लगन से क्या नहीं संभव है. वह छोटी दुकान आज देश की बड़ी स्नैक्स कंपनी गई है.
बीकानेर में 85 साल पहले छोटी-सी दुकान से शुरुआत
हल्दीराम के इतिहास की बात करें तो इसकी नींव आज से करीब 85 साल पहले 1937 में बीकानेर में रखी गई थी. इस ब्रांड की शुरुआत गंगा बिशन अग्रवाल ने एक छोटी दुकान से की थी. असल में उनकी चाची एक अलग तरीके से भुजिया बनाती थीं. गंगा बिशन जी ने इस तरीके से भुजिया बनाकर दुकान में रखना शुरू किया, जिसे ग्राहकों ने हाथों हाथ लिया. उनकी मां उन्हें प्यार से हल्दीराम कहती थीं. बिशन ने इस भुजिया को हल्दीराम भुजिया नाम दिया. धीरे-धीरे इस बीकानेरी भुजिया नया जायका मशहूर होने लगा. सन 1941 में बीकानेर और आस-पास के इलाकों में फेमस होने लगे थे. उन्हें कोलकाता और कई जगह से बड़े ऑर्डर मिलने लगे.
भुजिया का नया जायका लोगों को खूब पसंद आया
‘भुजिया बैरंस’ किताब लिखने वाले पवित्र कुमार ने इस बारे में विस्तार से बताया है. पवित्र के मुताबिक गंगा बिशन ने बेसन से बनने वाली भुजिया में मोठ मिलाना शुरू किया. इससे यह पहले के मुकाबले थोड़ा पतला भी हो गया. इस बदलाव से इसका जायका और रूप बदल गया. लोगों को यह नई भुजिया खूब पसंद आई. उन्हें पता था कि इसकी खुशूब दूर-दूर तक पहुंचाने के लिए उन्हें क्या करना है. उन्होंने इसे ‘डूंगर सेव’ नाम दिया. उन्होंने बीकानेर के लोकप्रिय महाराजा डूंगर सिंह के नाम पर अपने भुजिया को यह नाम दिया था.
कोलकाता, नागपुर और दिल्ली में खोले आउटलेट्स
कहते हैं काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. कभी-कभी छोटे स्तर से शुरू किया गया काम भी आगे जाकर बड़ा व्यापार बन जाता है. ठीक वैसे ही जैसे हल्दीराम बन गया. अब पूरे बीकानेर में हल्दीराम भुजिया समेत कई प्रकार नमकीनों की चर्चा होने लगी. इसके बाद ये देखते-देखते हल्दीराम ब्रांड राजस्थान में मशहूर होने लगा. फिर कोलकाता, नागपुर, दिल्ली में व्यापार को बढ़ावा देने के हल्दीराम आउट लेट्स खोले जाने लगे. अब तो सिर्फ़ राजस्थान और दिल्ली ही नहीं, हल्दीराम ने अमेरिका तक में अपनी पहुंच बना ली थी.
आज हल्दीराम देश की सबसे बड़ी स्नैक्स कंपनी
हल्दीराम का बीकानेर से बाहर पहला मैन्युफै़क्चरिंग प्लांट कोलकाता में शुरू हुआ था. इसके बाद 1970 में जयपुर और 1982 में दिल्ली में आउटलेट्स खोले गए. 2003 में इसके उत्पाद अमेरिका में निर्यात होने लगे. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 में उत्तर भारत में हल्दीराम का मैन्युफैक्चरिंग रेवेन्यू 2,100 करोड़ रुपये था. वेस्ट और साउथ इंडिया में सालाना सेल 1, 225 करोड़ रुपये थी. 2019 में कंपनी का रेवेन्यू 7, 130 करोड़ रुपये रहा. उत्तर भारत में इसके 50 से अधिक आउटलेट्स हैं और 100 से अधिक उत्पादों का निर्माण किया जाता है. आज लेज, कुरकुरे और अंकल चिप्स जैसे ब्रांड्स बनाने वाली कंपनी पेप्सिको को पीछे छोड़कर हल्दीराम देश की सबसे बड़ी स्नैक कंपनी है.
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