Rajasthan

हर तीसरी महिला होती है इस गंभीर समस्या से परेशान, शर्म से बता भी नहीं पाती | 1 in 3 Indian Women Struggle With Leaking Urine

एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (एआईएनयू) में फीमेल यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर सारिका पंड्या के अनुसार, पेशाब रोकने में परेशानी होना भारतीय महिलाओं में एक आम समस्या है.

मानसिक परेशानी बढ़ाती है

“शर्म और जानकारी की कमी के चलते इस बारे में खुलकर बात नहीं की जाती. इसकी वजह से महिलाओं को शर्मिंदगी उठानी पड़ती है, दैनिक कार्य करने में दिक्कत होती है, और रिश्तों पर भी असर पड़ता है. कई महिलाएं घर से बाहर निकलने में भी हिचकिचाती हैं और अकेलापन महसूस करती हैं. साथ ही, उन्हें मानसिक परेशानी भी होती है. लेकिन यह जानना जरूरी है कि इस समस्या का इलाज है, और किसी भी महिला को चुप रहकर परेशानी नहीं सहनी चाहिए.”

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Kamineni Hospital में कंसल्टेंट जनरल फिजिशियन और डायबेटोलॉजिस्ट डॉक्टर बनू प्रिया का कहना है कि पेशाब रोकने में परेशानी को अक्सर वर्जित विषय माना जाता है, लेकिन इससे महिलाओं को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का दर्द होता है.

समस्या को नजरअंदाज करना ठीक नहीं

“जश्न के पीछे कई भारतीय महिलाएं पेशाब रोकने में परेशानी से जूझ रही होती हैं. अब समय आ गया है कि हम इस शर्म की चादर हटाएं और इन महिलाओं को सहानुभूति और समर्थन दें. हम इस समस्या को नजरअंदाज नहीं कर सकते. पेशाब रोकने में परेशानी कोई व्यक्तिगत कमजोरी नहीं है, बल्कि यह एक चिकित्सीय समस्या है जिसका इलाज जरूरी है.”

“हाल के अध्ययनों से पता चला है कि भारत में 5 करोड़ से अधिक महिलाएं पेशाब रोकने में परेशानी से ग्रस्त हैं, लेकिन ज्यादातर महिलाएं सामाजिक कलंक के कारण चुप रहती हैं. अब भारतीय समाज को इस कलंक को तोड़ने और पीड़ित महिलाओं को आवाज देने की जरूरत है.”

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अमोर हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन और कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट और रीनल ट्रांसप्लांट फिजिशियन डॉक्टर कजारी गिरि का मानना है कि पेशाब रोकने में परेशानी कई कारणों से हो सकती है, जैसे प्रसव, उम्र बढ़ना और अन्य बीमारियां.

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हर तीसरी महिला पेशाब में पेशाब रोकने की परेशानी

“भारत में पेशाब रोकने में परेशानी की समस्या बहुत ज्यादा है, अध्ययनों के अनुसार भारत में लगभग हर तीसरी महिला को कभी न कभी अपने जीवन में इसका सामना करना पड़ता है. लेकिन सामाजिक वर्जना और जानकारी की कमी के कारण कई महिलाएं चुपचाप परेशानी सहती रहती हैं, और उन्हें उपलब्ध इलाज और सहारे के बारे में पता नहीं होता. इस समस्या से सीधे तौर पर लड़ना जरूरी है और महिलाओं को वह सहारा और मदद देनी चाहिए जिससे वो अपना आत्मसम्मान और स्वतंत्रता वापस पा सकें.”

उन्होंने आगे कहा, “नए इलाज से लेकर समुदायिक सहयोग नेटवर्क तक, भारतीय महिलाओं को पेशाब रोकने में परेशानी से लड़ने में मदद के लिए कई रास्ते मौजूद हैं. खुलकर बातचीत करने से, जागरूकता बढ़ाकर और बदलाव की वकालत करके हम महिलाओं को इस परेशानी से बाहर निकलने और अपने शरीर और जीवन पर दोबारा नियंत्रण पाने में मदद कर सकते हैं

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